उत्तर प्रदेश में मरीजों की जान ठेले पर

खबरें अभी तक। उत्तर प्रदेश में जब 1488 एंबुलेंस से समाजवाद का शब्द हटा दिया गया तो लगा यूपी में एबुंलेंस का भगवाकरण हो जाएगा. लेकिन भगवाकऱण का दौर तो छोड़िए और बहराइच में कैसे ठेले पर परिजन मरीज को लिए जा रहे हैं. लेकिन इन्हें देखकर विभाग के किसी अधिकारी को शर्म नहीं आई. न तो उन्हें शर्म आई जो मरीजों के लिए एंबुलेंस उपलब्ध करवाते हैं और ना ही वो स्वास्थ्य मंत्री शर्मिन्दा हुए जिन्होंने बच्चों की मौत पर भी शर्मनाक बयान दिया था. ऐसा लगता है रामराज में लाज, शर्म की बातें कहीं छिप गई है.

सरकारी अस्पतालों में मरीज तो ऐसे पड़े रहते हैं जैसे जान की कोई कीमत ही न हो. इस अस्पताल के बाहर की तस्वीर भी देख लीजिए. कैसा बदहाल अस्पताल है जहां की इमारतें ये कहती हैं कि स्वास्थ्य सेवाएं शानदार हैं. लेकिन अगर बात एंबुलेंस पर आएगी तो स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खुल जाएगी. और मंत्री जी को शर्म आए न आए जनता को जरूर शर्म आने लगी कि वो जिस प्रदेश में हैं वहां की स्वास्थ्य सेवाएं इतनी बदहाल क्यों है. तो इसके भी कई कारण है. जरा सुन लीजिए. इन्हें पता ही नहीं है कि सरकारी अस्पतालों में एंबुलेंस की सेवाएं फ्री है.