धान की खेती पर किसानों के लिए कुछ खास जानकारी……

खबरें अभी तक । भारत की अधिकतर आबादी कृषि की आजीविका पर निर्भर है । भारत से कई तरह के अनाज का आयात-निर्यात कई दूसरे देशों में किया जाता है। चावल के निर्यात में विश्व में वियतनाम देश को अग्रणी स्थान प्राप्त है। भारत के किसान इतने पढ़े लिखे तो नहीं होते पर फिर भी सरकार द्वारा फसलों के बारे में कई तरह की जानकारियां दी जाती है। रेडियो प्रोगाम के जरिए या फिर किसान वार्ता करके सरकार दूसरे देशों की कृषि के बारे में बताने का भरपूर प्रयास कर रही है। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं की चावल की खेती वियतनाम में कैसे की जाती है…… बीते 30 सालों में ही वियतनाम चावल आयात करने वाले देशों की सूची से निकलकर, आज दुनिया में चावल का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है। वह भी ज्यादा फूलों की खेती और कीटनाशकों के कम से कम इस्तेमाल के कारण…

खेती में ज्यादा से ज्यादा कीटनाशकों के इस्तेमाल से पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है, यह तो सब जानते हैं. लेकिन वियतनाम के मिकांग डेल्टा के किसानों के पास इससे निपटने का एक उपाय है. उनका उपाय कितना कारगर है इसकी बानगी मिलती है मिकांग डेल्टा के दक्षिण पश्चिम क्षेत्र में लहलहाती, सुनहरी और कटाई के लिए तैयार खड़ी धान की फसल को देखकर. धान के इन खेतों में फसल की कतारों के बीच कई रंग बिरंगे फूल खिले होते हैं, जैसा कि आम तौर पर नहीं दिखता. खेतों में खिले ये फूल सजावट के लिए नहीं बल्कि एक खास बायोलॉजिकल इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट का हिस्सा है।

इस प्रोजेक्ट का मकसद है खेतों में फसल खराब करने वाले कीड़ों को खाने वाले बड़े परभक्षी कीड़ों की संख्या बढ़ाना. सिद्धांत यह हैं कि अगर ऐसे प्राकृतिक कीड़ों की संख्या बढ़ेगी तो फसल नष्ट करने वाले कीड़ों को मारने के लिए कीटनाशक दवाओं की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. इस प्रोजेक्ट में वैज्ञानिकों की भूरे रंग के प्लांटहॉपर में ज्यादा दिलचस्पी है जो पूरे एशिया में धान की फसल बर्बाद करने के लिए बदनाम है. यह प्लांटहॉपर धान के पौधों का रस तब तक चूसता है जब तक वे पूरी तरह सूख कर मर ना जाएं. इस स्थिति में पौधे पर कई की जगहों से रंग उड़ा हुआ दिखता है और इन्हें आमतौर पर ‘हॉपर बर्न’ या के नाम से जाना जाता है।

कम कीटनाशक

यहां के बहुत से किसान अब अपने खेतों में कीटनाशकों का छिड़काव करना बंद कर चुके हैं। कीड़ों से फसल को बचाने के लिए वे धान के साथ साथ वे पौधे लगा रहे हैं जो कीड़ों को खाने वाले बड़े परभक्षी कीड़ों का घर बन सकें. 70 साल के एक अनुभवी किसान बताते हैं, इस प्रोजेक्ट के पहले तो हम हर हफ्ते ही कीटनाशकों का इस्तेमाल करते थे. बोआई के 40 दिन बाद से हम अनगिनत बार ये दवाईयां डाला करते थे. हर हफ्ते खेतों की सिंचाई करने के बाद हम पौधे की जड़ों के पास कीटनाशक डालते थे। यहां के किसानों की ही तरह किन जियांग प्रांत के करीब 45 किसान परिवार 2011 से इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बने हैं. यह उपाय सबसे पहले 2008 में चीन से शुरू हुआ और बाद में वियतनाम, थाईलैंड और अभी हाल ही में फिलीपींस पहुंचा है.

फूलों के कारण

जब पौधों में फूल खिलते हैं तो छोटे छोटे परभक्षी ततैए पौधे के पराग और शहद पर जिंदा रहते हैं. उसके बाद वे उड़ कर उन ब्राउन प्लांटहॉपर के घरौंदों में पहुंचकर उनके अंडों के बीच अपने अंडे छोड़ आते हैं. इससे ब्राउन प्लांटहॉपर पैदा होते ही नष्ट हो जाते हैं. अब वियतनाम के चार प्रांतों में 7,800 से भी ज्यादा किसान अपने धान के खेतों में इस तरह के फूलों की खेती कर रहे हैं. एशिया के बाकी देशों की तरह पहले यहां भी पेस्टिसाइड या कीटनाशकों का खूब चलन रहा है. सन 1980 में हुए आर्थिक सुधारों के बाद से ही स्थिति बदलनी शुरू हो गई. इन नए तरह के और सस्ते ईकोफ्रेंडली तरीकों की मदद से आज वियतनाम भारत के बाद दुनिया का सबसे बड़ा चावल का निर्यातक बन कर उभरा है. वियतनाम से निर्यात हो रहे कुल चावल का करीब आधा हिस्सा देश के मिकांग डेल्टा क्षेत्र में ही उगाया जाता है। तो चलिए आपको धान की फसल के बारे में कुछ खास बात बताते हैं…….

जमीं तैयार होने के बाद अब फिर इसकी बिजाई का समय हो गया है | भारत की सबसे बड़ी समस्या जमीन के निचले पानी का लगातार निचे गिरता लेवल है | जिस वजह से जमीन का पानी निकलने की लिए सबमर्सिबल मोटर का उपयोग करना पड़ रहा है |इसके लिए हमे बहुत खर्चा भी झेलना पड़ता है | धान को सही समय बिजाई के बाद खेत में लगाने से पानी की बचत की जा सकती है | धान का अच्छा झाड़ लेने के लिए पौध की बिजाई मई में की जानी चाहिए |

अगर किसी कारण पौध निकाल के धान की लुयाई नहीं की गयी तो पौध 50 दिन की उम्र तक भी खेत में लगाई जा सकती है | कम समय लेने वाली किस्मे (PR 115, PR 124, PR 126) जिन लवाई पिछेती होती है,उसके लिए बिजाई का समय 20-30 मई है | 20 -30 मए तक उसकी पौध लगा सकते है | इन किस्मो के लिए पौध की उम्र 30-35 दिन से ज्यादा नहीं होनी चाहिए |

समती के अच्छी किस्म के चावल और झाड़ पैदा करने के लिए पौध को निकाल के लगाने का समय बहुत महत्वपूर्ण है | इस किस्म के सीटे उस समय पड़ते हैं जब दिन की लम्बाई सही होती है | अगेती फसल उस समय सीटों पे आ जाती है जब तापमान ज्यादा होता है जिस से चावल पकने के गुणों पे असर पड़ सकता है|

अगर बासमती 370 और बासमती 386 किस्मो की पौध अगेती खेत में लगाई जाये तो इससे फसल बहुत उची होने से गिर सकती है | धान की लम्बे समय में पकने वाली किस्में लगाने से सिंचाई के पानी की जरूरत बाद में ज्यादा आती है | किसान को कम समय में पकने वाली किस्मों को तरजीह देनी चाहिए जिससे कि पानी की बचत हो सके और बासमती धान की ज्यादा गुणवत्ता वाली किस्मे लगानी चाहिए |

थोड़े समय में पकने वाली किस्मे जैसे की PR 115(125 दिन ) PR 124 (135 दिन) PR 126 (123 दिन ) किस्म सब से ज्यादा सही है | यह किस्मे धान की और किस्मों के मुकाबले खेत में 15-20 दिन कम रहने से कम पानी मांगती हैं |

तैयार किये खेत में पौध लगाने के 2 हफ्ते बाद तक पानी का खेत में रहना बहुत जरूरी है | इस से पौध के पेड़ खेत में अच्छी तरह जम जायेंगे | इस के बाद पानी उस समय दें जब पहले के पानी को खपत होये दो दिन हो गए हों लेकिन इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जमीन पे तरेड़ें न पड़ें इस से सिंचाई के पानी काफी बचत हो जाती है और फसल के झाड़ पे भी कोई असर नहीं पड़ता |

पानी की बचत की लिए 15-20 सेंटीमीटर गहराई में लगे तैशीओमीटर में पानी का लेवल हरी पट्टी से पिली पट्टी में दाखल होने से (15 20 सेंटीमीटर ) पानी लगाएं | खेतों में पानी 10 सेंटीमीटर से ज्यादा नही होना चाहिए | फसल पकने से दो हफ्ते पहले पानी देना बंद कर देना चाहिए ताकि कटाई आसान हो सके |

विना पौध के सीधे बिजाई :

अगर आप चाहते है कि वीणा पौध तैयार किए सीधे बिजाई की जय तो कर सकते है | धान की सीधी बिजाई के लिए जून का पहले पंद्रह दिन और बासमती किस्मो के लिए जून का दूसरे पंद्रह दिन सही समय हैं |

अगर धान की सीधी बिजाई सीधे खेत में की जाती है तो बिजाई के तुरंत बाद सिंचाई करें और दूसरी सिंचाई 4-5 दिन बाद करें | अगर धान की बिजाई moisture किये खेत में की गयी है तो पहली सिंचाई बिजाई के 5-7 दिन बाद की जानी चाहिए | आखरी पानी धान कटने से दस दिन पहले दें | लेकिन धान की सीधी बिजाई केवल मीडियम से हैवी जमीनों में की जा सकती है |

इस तरह से बीजी फसल को छोटे खुराकी तत्त्व और नदिनों की रोकथाम में ज्यादा ध्यान देना चाहिए | धान की कम समय लेने वाली PR 115 किस्म सीधी बिजाई के लिए सही है | बासमती धान की किसमों से पूसा बासमती 1121 और पूसा बासमती 1509 धान की सीधी बिजाई के लिए सही हैं |