तंबाकू निषेध कानून आरंभ से वर्तमान तक …

 खबरें अभी तक ।  2अक्टूबर 2018 को भारत में धूम्रपान निषेध कानून बने पूरे 10 साल हो चुके हैं। इस मुहिम को लेकरदुनियाभर में ऐसे प्रयास हुए लेकिन बमुश्किल ही कहीं धूम्रपान पर स्थायी रोक लग पाई । 2 अक्टूबर 2018 को भारत में धूम्रपान निषेध कानून बने पूरे 10 साल हो गए हैं । यह कानून कितना असरदार रहा, इसकी बानगी हम अपने आसपास रोजाना देख ही सकते हैं। सार्वजनिक स्थलों पर रोक के बावजूद धुएं के छल्ले बनाने वालों की कमी नहीं है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ भारत में ही धूम्रपान पर रोक लगाने वाले कानून बेअसर रहे हैं। दुनियाभर में ऐसे प्रयास हुए लेकिन बमुश्किल ही कहीं धूम्रपान पर स्थायी रोक लग पाई। सबसे पहले 1575 में मैक्सिको की चर्च संबंधी परिषद ने मैक्सिको के चर्च और कैरेबियन की स्पेनिश कॉलोनी में तंबाकू के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया था। यह आदेश पादरी को भी चर्च परिसर में धूम्रपान से नहीं रोक पाया।

1590 में पोप अर्बन सप्तम ने उन सभी लोगों को चर्च से बहिष्कृत करने की धमकी दी जो रोमन कैथोलिक चर्च के भीतर तंबाकू का किसी भी रूप में सेवन करते थे। उनका कार्यकाल महज 13 दिन का रहा और उनके उत्तराधिकारी ग्रेगरी चौदहवें ने तंबाकू को प्रतिबंधित करने का कोई जिक्र नहीं किया। 1624 में पोप अर्बन अष्ठम ने भी तंबाकू पर वैश्विक प्रतिबंध लगाने की घोषणा की और इसका सेवन करने वालों को बहिष्कृत करने की चेतावनी थी। एक शताब्दी बाद पोप बेनेडिक्ट अष्टम ने तमाम प्रतिबंध हटा दिए। 1779 में वेटिकन में पहली तंबाकू फैक्टरी खोली गई।

1633 में ऑटोमन शासक मुराद चतुर्थ ने अपने साम्राज्य में धूम्रपान पर प्रतिबंध लगा दिया। इस कानून तो तोड़ने पर एक ही दिन में 18 लोगों को मृम्युदंड दिया गया। मुराद के उत्तराधिकारी इब्राहिम ने 1647 में प्रतिबंध हटा दिया। इब्राहिम के शासनकाल में तंबाकू विलासिता की वस्तु बनकर उभरी। 1634 में रूस के जार माइकल फ्योडोरोविच ने तंबाकू प्रतिबंधित कर दिया। उन्होंने तंबाकू का सेवन करने वालों को शारीरिक यातना, कोड़ों की मार, नाक काटने और सर्बिया भेजने की चेतावनी दी। उनके उत्तराधिकारी मिखाइलोविच ने तंबाकू का सेवन करने वालों को तब तक प्रताड़ित करने का आदेश दिया जब तक वह तंबाकू की आपूर्ति करने वाले का नाम न बता दे। 1676 में यह प्रतिबंध हटा लिया गया।

1638 में चीन के मिंग शासक ने तंबाकू की तस्करी करने वाले का सिर कलम करने की घोषणा की। उनका आदेश अप्रभावी रहा और कोर्ट के अंदर ही धूम्रपान बढ़ गया। 1640 में आधुनिक भूटान के संस्थापक योद्धा सन्यासी शब्दरंग नवांग नामग्याल ने सरकारी इमारतों में धूम्रपान पर पाबंदी लगा दी। 1891 में ईरान के धार्मिक नेता हाजी मिर्जा हसन शिराजी ने फतवा जारी कर शियाओं को तंबाकू का व्यापार करने से रोक दिया। 1892 में जब ईरान ने इंग्लैंड से व्यापारिक संबंध तोड़ दिए तब लोगों ने धूम्रपान शुरू कर दिया।

1895 में अमेरिका के नॉर्थ डकोता ने सिगरेट की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया। 1907 में वाशिंगटन ने कानून बनाकर सिगरेट के उत्पादन, विक्रय पर रोक लगा दी। 1942 में जर्मनी का तानाशाह नाजी शासक हिटलर धूम्रपान का बड़ा विरोधी बनकर उभरा। उसने कई सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान प्रतिबंधित कर दिया और तंबाकू उत्पादों पर भारी कर लगा दिए। लेकिन दूसरे विश्व युद्ध के बाद तंबाकू विरोधी अभियान महत्वहीन हो गए।

तंबाकू, शरीर में कितने रोगों को जन्म देता है। आज भारत  के ग्रामीण इलाकों में तंबाकू से होने वाली बीमारियों से कितने व्यक्ति जूझ रहें हैं, इनकी संख्या कुल जनसंख्या का एक चौथाई भाग मानी जा सकती है। कम पढ़ी-लिखी जनता को तंबाकू से फैले रोगों के बारे में अनगत कराना काफी मुश्किल है क्यों की देहाती क्षेत्रों  में शिक्षा और चिकित्सा का प्रसार शहरों के मुकाबले बहुत कम है।