लाल बहादुर शास्त्री की 115 वीं जयंती आज, जानिए उनके कुछ किस्से

ख़बरें अभी तक। आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के साथ-साथ देशभर में लाल बहादुर शास्त्री की 115वीं जयंती भी बनाई जा रही है. लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री रह चुके हैं और उनकी ईमानदारी और खुद्दारी की लोग आज भी मिसाल देते हैं.

 

उनके जीवन के कुछ खास किस्से-

 

कहा जाता है कि शास्त्री फटे कपड़ों से बाद में रुमाल बनवाते थे. फटे कुर्तों को कोट के नीचे पहनते थे. इस पर जब उनकी पत्नी ने उन्हें टोका, तो उनका कहना था कि देश में बहुत ऐसे लोग हैं, जो इसी तरह गुजारा करते हैं.

लाल बहादुर शास्‍त्री जाति प्रथा के घोर विरोधी थे. इसलिए उन्‍होंने कभी भी अपने नाम के साथ अपना सरनेम नहीं लगाया. उनके नाम के साथ लगी ‘शास्‍त्री’ की उपाधि उन्‍हें काशी विद्यापीठ की तरफ से मिली थी.

बनारस में पैदा हुए शास्‍त्री का स्‍कूल गंगा की दूसरी तरफ था. उनके पास गंगा नदी पार करने के लिए फेरी के पैसे नहीं होते थे. इसलिए वह दिन में दो बार अपनी किताबें सिर पर बांधकर तैरकर नदी पार करते थे और स्कूल जाते थे.

लाल बहादुर शास्‍त्री, बापू को अपना आदर्श मानते थे. उन्‍हें खादी से इतना लगाव था कि अपनी शादी में दहेज के तौर पर उन्‍होंने खादी के कपड़े और चरखा लिया था.

शास्‍त्री सादा जीवन में विश्‍वास रखते थे. प्रधानमंत्री होने के बावजूद उन्‍होंने अपने बेटे के कॉलेज एडमिशन फॉर्म में अपने आपको प्रधानमंत्री न लिखकर सरकारी कर्मचारी लिखा. उन्‍होंने कभी अपने पद का इस्तेमाल परिवार के लाभ के लिए नहीं किया.

उनके बेटे ने एक आम इंसान के बेटे की तरह रोजगार के लिए खुद को रजिस्‍टर करवाया था. एक बार जब उनके बेटे को गलत तरह से प्रमोशन दे दिया गया, तो शास्‍त्री जी ने खुद उस प्रमोशन को रद्द करवा दिया.