मणिमहेश की पवित्र झील में लोगों ने लगाई आस्था की डुबकी

खबरें अभी तक। जन्माष्टमी से राधा अष्टमी तक चलने वाली मणिमहेश यात्रा का आज शाही स्नान है। आज सुबह अलग-अलग जगह से आए भगवान शंकर के गुर जब मणिमहेश की पवित्र डल झील में उतरे तो उसके साथ ही लोगों ने पवित्र डल झील में स्नान हर मणिमहेश कैलाश के दर्शन किये । जन्माष्टमी से लेकर राधा अष्टमी तक चलने वाली इस यात्रा में अब तक करीब 6 लाख लोगों ने पवित्र डल झील में आस्था की डुबकी लगाई है। आज मणिमहेश यात्रा का अंतिम दिन है।

चंबा जिला में यात्राओं का इतिहास काफी पुराना है। मणिमहेश की यात्रा विश्वविख्यात है। मणिमहेश झील की समुद्र तल से ऊंचाई लगभग 13500 फीट है। चंबा से भरमौर 64 किलोमीटर है जहां से हड़सर 13 किलोमीटर है। हड़सर से पैदल यात्रा शुरू होती है तथा हड़सर से धनछो 6 किलोमीटर है जोकि हड़सर से आगे पहला पड़ाव है।उसके बाद 6 किलोमीटर का सफ़र तय कर यात्री मणिमहेश डल झील पहुंचते हैं।

चंबा की भरमौर तहसील में ही शिव का धाम कैलाश पर्वत पर है। कैलाश पर्वत पर डल नाम की झील है जहां पर हर वर्ष अगस्त-सितंबर के महीने में न्हौण का आयोजन होता है। भारत वर्ष के कौने-कौने से लोग मणिमहेश यात्रा पर अपनी उपस्थिति देते हैं तथा पवित्र डल झील में स्नान करके अपने को धन्य समझते हैं। न्हौण पर्व के दिन कैलाश पर्वत पर एक अचम्भित करने वाली बात यह है कि प्रात: कैलाश पर्वत की आटे में से एक दिव्य प्रकाश निकलता है जिसकी किरणें डल झील पर पड़ती हैं तथा यह दिव्य प्रकाश प्रात: काल सूर्य की प्रथम किरण के प्रकट होते ही उसमें विलीन हो जाता है।  इस प्रकाश की किरणें झील पर स्पष्ट रूप से पड़ती दिखाई देती है।

भगवान शंकर इस मणिमहेश यात्रा के लिए पूरे विश्व से लोग यहां पर भगवान शंकर के दर्शन करने के लिए आते हैं रात्रि के समय एक दिव्य ज्योति जिसके दर्शन बहुत ही दुर्लभ माने जाते हैं कैलाश पर्वत के ऊपर चमकते हैं यही दिव्य प्रकाश शिवमणि का होता है इसीलिए इस यात्रा को मणिमहेश यात्रा के नाम से जाना जाता है।  रात करीब 2:30 बजे उस दिव्य मणि के दर्शन कर लोग धन्य हो गए जाते हैं।