हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का जन्मदिन आज, दिल्ली में केक काट कर मनाया जन्मदिन

ख़बरें अभी तक। हरियाणा की सियासत का ज़िक्र हो और भूपेंद्र सिंह हुड्डा की बात ना हो तो ,सियासत अधूरी सी लगती है. भूपेंद्र सिंह हुड्डा, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के एक क़द्दावर नेता राजनीति की दुनिया का एक ऐसा नाम है जो हरियाणा के गरीबों, मज़दूरों, किसानों और दबे-कुचले तबकों के मसीहा और बेहतरीन हमदर्द होने का तमगा अपने नाम कर चुके हैं. वो भूपेंद्र सिंह हुड्डा जिन्होंने हरियाणा के आम लोगों के दिलों पर राज किया है. वहीं भूपेंद्र सिंह हुड्डा के जन्मदिन के मौके पर इनके शानदार राजनीतिक सफर और इनकी जानदार शख्सियत को करीब से जानना उनके बेशुमार चाहने वालों की एक बड़ी इच्छा हमेशा से रही है. क्योंकि 15 सितंबर का दिन एक ऐसे इंसान के इस दुनिया में आने का दिन है जिसने अपनी ज़िंदगी की तमाम आसाईशों और सहूलियतों पर आम आदमी की तकलीफों को तरजीह दी है.

डुड्डा साहब की करिशमाई शख्सियत का ही कमाल था कि 2014 के आम चुनाव में जब मोदी की लहर चल रही थी जिसमें लोग सिर्फ मोदी के नाम का जाप कर रहे थे और तमाम लोकसभाओं में उम्मीदवारों को वोटर जानते तक नहीं थे. जब उत्तराखंड से लेकर हिमाचल प्रदेश, राजस्थान,गुजरात और ज्यादातर जगहों से कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो रहा था. तब उस तूफान में भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरपरस्ती में या यूं कहिए कि हुड्डा साहब की दीवानगी में इनके बेटे हीपेंद्र सिंह हुड्डा को भारी वोटों से जिताकर लोगों ने रोहतक से सांसद बनाया वो भी तब जब जब दीपेंद्र बेहद बिमार थे. कम्पलीट बेड रेस्ट पर थे और एक दिन तो क्या एक लम्हे के लिए भी चुनाव प्रचार नहीं कर पाए थे.

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपनी राजनीतिक विरासत को बेहद संवारकर और संभालकर रखा है. इनके पिता स्वर्गीय रणबीर हुड्डा साहब बेहद मज़बूत स्वतंत्रता सेनानी रहे.संविधान सभा के सदस्य रहे और जाने माने कांग्रेसी नेता भी जिन्होंने इंदिरा गांधी की सरपरस्ती में राजनीति को नए आयाम और नए उसूल दिए. इसमे कोई दो राय नहीं कि हुड्डा साहब की जिंदगी की सबसे बड़ी प्रेरणा इनके पिता ही हैं. हमारे देश में बहुत से राजनेता हैं जो गांधीवादी विचारधारा की बात करते हैं लेकिन हकीकत में अगर किसी परिवार ने गांधी जी की सोच को अपनी आत्मा में उतारा है तो वो है भूपेंद्र सिंह हुड्डा का परिवार और ये सिर्फ कहने की बात नहीं है, बहुत कम लोग जानते हैं कि इनके पिता स्वर्गीय रणबीर हुड्डा ने अपने बेटे की भूपेंद्र हुड्डा की सिग्रेट पीने की आदत खत्म करने के लिए इन्हे डांटने के बजाए सत्याग्रह करने की धमकी दी थी. जो आज भी असरदार है.

एक वक्त था जब पूरे देश में देवीलाल और चरण सिंह को ही लोग किसान नेताओं के रुप में जानते थे.लेकिन हरियाणा में देवीलाल के बाद हुड्डा किसानों के सबसे बड़े मसीहा बनकर उभरे.जिस देवीलाल के नाम पर ही लोग वोट दे दिया करते थे उन्ही देवीलाल को हरियाणा के मुख्यमंत्री होते हुए भी हुड्डा साहब ने कई बार हराया…1991, 1996 और 1998 के लोकसभा चुनाव में…यानी तीन बार देवीलाल जैसे कद्दावर राजनीतिज्ञ के अभेद किले को भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने ध्वस्त किया…और खुद को देवीलाल से बड़ा और मज़बूत किसान नेता साबित किया.

जनता ने हुड्डा साहब को सर आंखों पर बैठाया.हुड्डा जी ने भी बखूबी साबित किया कि हरियाणा की जनता का फैसला वाकई काबिले-तारीफ था और ये सब यूं ही नहीं हुआ. जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए हुड्डा साहब ने खूब मेहनत और शिद्दत से काम करते हुए तमाम चीज़ों में संतुलन बनाकर एक ज़िम्मेदार हुक्मरान की भूमिका निभाते हुए अलग अलग नीतियां बनाकर सूबे में खुशहाली पैदा की और ये साबित किया कि हरियाणा की जनता ने वाकई एक पारखी जौहरी की तरह भूपेंद्र सिंह हुड्डा जैसे हीरे को परख कर चुना है. आज अगर हरियाणा के खिलाड़ियों ने पूरी दुनिया में नाम रौशन किया है तो इसका श्रेय भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा को ही जाता है.अपने कार्यकाल के दौरान हुड्डा साहब की खेल नीति ने सूबे में जादू जैसा असर किया.

भूपेंद्र सिंह हुड्डा की लंबी उम्र की दुआ हरियाणा की जनता करती आई है और उनके इस जन्मदिन पर भी लोगों की दुआएं उनके साथ हैं क्योंकि अभी तो हुड्डा साहब को हरियाणा के लोगों को अपनी खूब सारी खिदमतों से नवाज़ना है. अपने इस सफ़र में उन्होंने अपने उसूलों को, अपने क़द की उंचाई को कभी किसी समझौते की भेंट नहीं चढ़ने दिया. इस क़दर अज़ीम और क़ीमती शख्सियत का राजनीति की दुनिया में पूरी इमानदारी से आज तक डटे रहना इनकी मज़बूत इच्छा-शक्ति और बेहतरीन सोच और शानदार परवरिश का ही नतीजा है.