काफी घमासान के बाद आखिर राज्य सभा में तीन तलाक बिल पास हो गया

खबरें अभी तक। तीन तलाक को लेकर हर रोज राजनीति में घमासान चल रहा है. लोकसभा में पास होने के बाद बुधवार को तीन तलाक बिल राज्यसभा में पेश हो गया. उच्च सदन में इस पर गर्मागर्म बहस हुई.  विपक्ष ने इस बिल को पहले सेलेक्ट कमिटी के पास भेजने की मांग की. कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने संशोधनों का प्रस्ताव रखा. सरकार बिना किसी संशोधन के इसे सदन से पास कराना चाह रही है, जिसके बाद जमकर हंगामा हुआ और उपसभापति ने कार्यवाही गुरुवार तक स्थगित कर दी.

राज्यसभा में वित्तमंत्री अरुण जेटली ने किसी भी संशोधन का विरोध करते हुए कहा कि संशोधन 24 घंटे पहले दिए जाने चाहिए थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और ठीक तीन बजे सदन में संशोधन रखे गए हैं.

जेटली ने कहा कि आनंद शर्मा एक गलत परंपरा की नींव रखना चाहते हैं कि सदन में बहुमत वाली कोई भी पार्टी या समूह सेलेक्ट कमिटी के सदस्यों का नाम तय कर सकती है.

उन्होंने कहा कि पूरा देश देख रहा है कि आपने एक सदन में बिल का समर्थन किया और दूसरे सदन में आप इसे पास होने से रोकना चाहते हैं.

कांग्रेस ने रखा संशोधनों का प्रस्ताव-

कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने विपक्षी पार्टियों के सदस्यों के नाम उपसभापति को दिए जो सेलेक्ट कमिटी में होंगे. इनमें तीन कांग्रेस के थे. शर्मा ने कहा कि सरकार अपने सदस्यों के नाम सुझाए. कांग्रेस नेता का कहना था कि ये सेलेक्ट कमिटी बजट सत्र के दौरान अपने सुझाव सौंपेगी. उनका कहना था कि सरकार पहले संशोधनों को स्वीकार करें और फिर बिल को सेलेक्ट कमिटी को भेजें.

आनंद शर्मा ने कहा कि हम तीन तलाक बिल का विरोध नहीं कर रहे हैं. लेकिन हम चाहते हैं कि जब एक सदन से पास होकर बिल राज्यसभा में आया है तो ये हम सबकी जिम्मेदारी है. कोई भी विधेयक विधायी जांच के माध्यम से गुजरना चाहिए.

क्या है विपक्ष का रुख?

कांग्रेस पार्टी, समाजवादी पार्टी, डीएमके समेत कई विपक्षी दल ऐसे हैं जो सीधे सीधे इस बिल का विरोध तो नहीं कर रहे हैं, लेकिन चाहते हैं कि इस पर और विचार विमर्श करने के लिए इसे राज्यसभा की सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए. इन विपक्षी पार्टियों का तर्क है कि इस दिल में तीन तलाक की हालत में पति को 3 साल तक के लिए जेल भेजने का जो प्रावधान है वह गैर जरूरी है. इससे मामला सुलझने के बजाय और ज्यादा उलझ जाएगा. विपक्षी नेताओं का कहना है कि सिविल मामले को क्रिमिनल मामला बनाना ठीक नहीं है, क्योंकि ऐसे कानून का दुरुपयोग भी हो सकता है.

हालांकि, सरकार की दलील है कि यह बेहद छोटा सा कानून है जोकि सुप्रीम कोर्ट के कहने पर बनाया जा रहा है और इसमें हर स्थिति से निपटने के लिए इंतजाम किए गए हैं.