भीमा कोरेगांव रेड मामले में आज होगी अहम सुनवाई

खबरें अभी तक। भीमा कोरेगांव रेड मामले कि पीछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था और पांचों एक्टिविस्ट को राहत देते हुए उन्हें 6 सितम्बर तक हाउस अरेस्ट यानी घर में ही नजरबंद रखने का आदेश दिया था. आपको बता दें कि भीमा कोरेगांव हिंसा की जांच कर रही पुणे पुलिस ने मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद और रांची में एक साथ छपेमारी कर घन्टो तलाशी ली थी और फिर 5 लोगों को गिरफ्तार किया था. पुणे पुलिस के मुताबिक सभी पर प्रतिबंधित माओवादी संगठन से लिंक होने का आरोप है. जबकि मानवाधिकार कार्यकर्ता इसे सरकार के विरोध में उठने वाली आवाज को दबाने की दमनकारी कार्रवाई बता रहे हैं. आपको बता दें कि रांची से फादर स्टेन स्वामी,  हैदराबाद से वामपंथी विचारक और कवि वरवरा राव, फरीदाबाद से सुधा भारद्धाज और दिल्ली से सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलाख की भी गिरफ्तारी हुई है।

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को इस केश के मामले में अहम सुनवाई करेगा. बताया जा रहा है कि सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ में गुरुवार को दोपहर दो बजे इस मामले की सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट को कल तय करना है कि इन पांच एक्टिविस्ट की हाउस अरेस्ट की मियाद आगे बढ़ाई जाए या फिर पुणे पुलिस की हिरासत में दिया जाए।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि असहमति लोकतंत्र का सेफ्टी वॉल्व है, इसे रोका तो यह फट जाएगा. वहीं दूसरी ओर याचिकाकर्ता के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि एफआईआर में गिरफ्तार किए लोगों का नाम तक नहीं है.  पुणे पुलिस की ओर से पेश ASG तुषार मेहता ने कहा था कि याचिका दायर करने वालो का इस केस से कोई सम्बंध नहीं है, वो किस हैसियत से याचिका दायर कर रहे है। याचिकाकर्ता रोमिला थापर, देवकी जैन, प्रभात पटनायक, सतीश देशपांडे और माया दारूवाला ने याचिका दायर कर पुणे पुलिस की कार्रवाई को चुनौती दी है।

बता दें कि भीमा कोरेगांव केस में महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को हलफनामा दाखिल कर बताया है कि गिरफ्तार किये गए पांचों एक्टिविस्ट समाज में अराजकता फैलाने की योजना बना रहे थे. पुलिस के पास इसके पुख्ता सबूत हैं. राज्य सरकार ने कहा है कि एक्टिविस्ट को उनके सरकार कर प्रति अलग सोच या विचारों की वजह से गिरफ्तार नहीं किया गया है, उनके खिलाफ पक्के सबूत पुलिस के पास हैं, उन्हें पुलिस हिरासत में दिया जाना चाहिए.

राज्य सरकार ने कहा कि इस बात के सबूत पुलिस को मिले हैं कि पांचों एक्टिविस्ट प्रतिबंधित आतंकी (माओवादी) संगठन के सदस्य हैं, ये न केवल देश मे हिंसा की योजना बना रहे थे, बल्कि इन्होंने बड़े पैमाने पर देश मे हिंसा और तोड़फोड़ व आगजनी करने की तैयारी भी शुरू कर दी थी. इससे ये समाज मे अराजकता का माहौल पैदा करना चाहते थे. इनके खिलाफ गंभीर अपराध का केस बनाया गया है.