इस बार दो दिन बनेगी जन्माष्टमी, जानिए किस दिन व्रत रखना है शुभ

ख़बरें अभी तक। इस बार दो दिन 2 और 3 सितंबर को कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जा रही है. ऐसे में लोगों में ये संशय है कि किस दिन जन्माष्टमी बनाए जाए. परंपरा के अनुसार, जन्माष्टमी 2 सितंबर को है, जबकि वैष्णव परंपरा के अनुसार, 3 सितंबर को जन्माष्टमी मनाई जाएगी।

गृहस्थ जीवन वाले वैष्णव संप्रदाय से जन्माष्टमी का पर्व मनाते हैं और साधु संत स्मार्त संप्रदाय के द्वारा मनाते हैं। स्मार्त अनुयायियों के लिए, हिंदू ग्रन्थ धर्मसिंधु और निर्णयसिंधु में, जन्माष्टमी के दिन को निर्धारित करने के लिए स्पष्ट नियम हैं। जो वैष्णव सम्प्रदाय के अनुयाई नहीं हैं, उनको जन्माष्टमी के दिन का निर्णय हिंदू ग्रंथ में बताए गए नियमों के आधार पर करना चाहिए।

धर्मग्रंथो के अनुसार भगवान श्री कृष्णा का जन्म भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि रोहिणी नक्षत्र में अर्धरात्रि को और बुधवार को हुआ था इसलिए हर साल इसी तिथि पर और इसी नक्षत्र में कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। पर हर बार ऐसा नहीं होता है कई बार हमको अष्टमी तिथि रात को नही मिल पाती और कई बार रोहिणी नक्षत्र नहीं हो पाता है।

इस साल भी 2 सितंबर को रविवार 8.48 रात तक सप्तमी तिथि है और उसको बाद अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी और रविवार की रात को ही चंद्रमा भी रोहिणी नक्षत्र में उच्च राशि वृषभ मे ही है। इस बार भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी रात्रि 8:48 बजे से शुरू होकर अगले दिन 3 सितंबर को रात्रि 07:20 बजे समाप्त हो जाएगी। 3 सितंबर को रात को 7.20 से नवमी तिथि है और मृगशिरा नक्षत्र है.

जन्माष्टमी निशीथ काल पूजन का समय: 2 सितंबर मध्यरात्रि 11:57 से 12:48 तक शुभ मुहूर्त है और 3 सितंबर, 2018 को रात्रि 8:04 बजे तक निशीथ काल पूजन हैं। इस कृष्ण जन्माष्टमी पर धन की कमी दूर करने के इन चीजों से बांके बिहारी को प्रसन्न करें। घर में मां लक्ष्मी का वास अवश्य होगा. भगवान कृष्ण को तुलसी दल बहुत प्रिय है.

इसलिए भोग लगाते समय कान्हां को तुलसी दल अवश्य अर्पित करें। माखन मिश्री का भोग लगाने से कान्हा बहुत प्रसन्न होते हैं। पीले रंग के फल अर्पित करने से धन-दौलत की प्राप्ति होती है। भगवान कृष्ण के मुकुट में मोर पंख लगाएं, इससे विशेष कृपा प्राप्त होती है। पीले वस्त्र कान्हां को बहुत प्रिय है, इसलिए अपने कान्हा जी को पीले वस्त्र अर्पित करें आपकी मनोकामना पूरी होगी।