गूगा गाथा की हुई शुरुआत, गूगा पीर करते है मन्नते पूरी

ख़बरें अभी तक। रक्षाबंधन के साथ ही घर-घर गूगा गाथा की भी शुरुआत हो गई है, हमीरपुर और इसके आसपास के क्षेत्रों में गूगा गाथा रक्षाबंधन से शुरू होकर जन्माष्टमी तक घर -घर सुनाई जाती है। पुरानी संस्कृति के अनुसार गूगा गाथा को सुनना शुभ माना जाता है और इसलिए नंगे पांव गूगा का छत्र उठाकर गूगा गाथाएं हर घर में सुनाई जाती है। सदियों से चली आ रही परपंरा आज भी जिंदा है और लोगों की भी इसमें पूरी आस्था है। हमीरपुर बाजार में भी गूगा जाहर पीर के अनुयायी गाथा सुनाते हुए आगे बढ़ गए।

बता दें कि गूगा जाहरवीर को राजा छतरी जाहरवीर के नाम से भी जाना जाता है और लोकमान्यता व लोक कथाओं के अनुसार गूगा जी को सांपों के देवता के रूप में भी पूजा जाता है। लोग उन्हें गोगाजी, गूगा, जाहर वीर व जाहर पीर, जहरवीर के नामों से पुकारते हैं। जो गांव गांव घर घर जाकर लोगों की मनन्त पूरी करते है व लोग जो अपनी इच्छा से जो मनन्त मांगते है उनको गुगा पीर पूरी करते है।

गूगा मंडली के सदस्य ने बताया कि गूगा गाथाओं को पुरानी पंरपराओं के अनुसार ही हर घर में जाकर सुनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि गूगा जाहरपीर की सारी गाथों को गीतों के माध्यम से सुनाया जाता है और पुरानी संस्कृति को सदियों से निभाया जा रहा है।