खबरें अभी तक। राजधानी दिल्ली में भीख मांगना अपराध नहीं है। दिल्ली हाई कोर्ट ने इस बात की पुष्टि कर दी है। राजधानी में भीख मांगने को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया और कहा कि सड़कों पर भीख मांगने वाले लोग खुशी से यह काम नहीं करते हैं, बल्कि यह उनके लिए अपनी जरूरतें पूरी करने का अंतिम उपाय है।
अदालत ने कहा कि भीख मांगने को अपराध की श्रेणी में रखना समाज के सबसे कमजोर तबके के लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। साथ ही अदालत ने जीवन के अधिकार के तहत सभी नागरिकों के जीवन की न्यूनतम जरूरतें पूरी नहीं कर पाने के लिए सरकार को जिम्मेदार बताया है।
कोर्ट ने कहा कि इस काम को लेकर सजा देने का प्रावधान असंवैधानिक हैं और वो रद्द किये जाने लायक हैं। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने कहा कि भीख मांग ने को अपराध बनाने वाले मुंबई भीख रोकथाम कानून के प्रावधान संवैधानिक परीक्षण में टिक नहीं सकते।
बेंच ने 23 पन्नों के फैसले में कहा कि इस फैसले का ज़रूरी परिणाम यह होगा कि भीख मांगने का कथित अपराध करने वालों के खिलाफ कानून के तहत मुकदमा खारिज करने योग्य होगा।
अदालत ने कहा कि इस मामले के सामाजिक और आर्थिक पहलू पर अनुभव आधारित विचार करने के बाद दिल्ली सरकार भीख के लिए मजबूर करने वाले गिरोहों पर काबू के लिए वैकल्पिक कानून लाने को स्वतंत्र है।