कुल्लू में मौसम ने खराब की सेब की फसल

खबरें अभी तक। बागवानी के लिए विख्यात कुल्लू घाटी में साल दर साल सेब का उत्पादन कम होने लगा है। पिछले तीन सालों से घाटी में सेब उत्पादन में भारी गिरावट आई है। वही, इस साल पिछले 11 सालों के दौरान जिला कुल्लू में इस बार सेब का सबसे कम उत्पादन है। इस साल जिला में सेब की 83 हजार मीट्रिक टन उत्पादन का अनुमान था।

सेब सीजन से पहले बागवानी विभाग की ओर से किए गए फाइनल सर्वे में इसका खुलासा हुआ है। वर्ष 2016 से लेकर जिला कुल्लू में मौसम की मार सेब की फसल पर भारी पड़ रही है। पिछले साल भी कुल्लू में मात्र सेब की 40 लाख पेटियां को देश व प्रदेश की विभिन्न मंडियों के लिए भेजा गया था। इस साल भी बागवानों की मेहनत पर मौसम भारी पड़ गया है और 50 फीसदी सेब को तबाह कर दिया है।

सबसे अधिक नुकसान ओले व अधंड से हुआ है। मौसम के कहर से कुल्लू घाटी के 70 हजार से अधिक बागवान लगातार तीसरे साल भी उभर नहीं पाए और उन्हें करोड़ों को नुकसान उठाना पड़ा। बागवानी विभाग की ताजा रिपोर्ट में जिला के आनी ब्लॉक में मात्र सेब पेटियां 3400, निरमंड में 4000, बंजार में 5500, कुल्लू 8500 तथा नग्गर खंड में सेब की 16500 पेटियों का उत्पादन होने का आकलन किया है।

जिला उद्यान विभाग के उपनिदेशक डॉ. राज कुमार शर्मा ने कहा कि जिला कुल्लू में इस साल भी सेब का उत्पादन बहुत कम होगा। असमय बारिश और फ्लावरिंग के समय ठंड पड़ने तथा ओलावृष्टि व अधंड ने सेब को भारी नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि जिले के निचले इलाकों में सेब सीजन शुरू हो गया है।