अब एम्स के डाक्टर ही हो रहे है मानसिक रोगों से ग्रस्त

खबरें अभी तक अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के रेजिडेंट डॉक्टर्स काम के बोझ से इतने परेशान हैं कि उन्हें काउंसलिंग की जरूरत है. एम्स रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने एम्स निदेशक को पत्र लिखकर मांग की है कि रेजिडेंट और मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए काउंसलर नियुक्त किए जाएं और 24 घंटे काम करने वाला एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया जाए. एसोसिएशन की ओर से एम्स निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया को लिखे पत्र में कहा है कि यहां रेजिडेंट डॉक्टर्स बहुत दबाव में काम करते हैं. जिससे हर वर्ष एक या दो आत्महत्या की वारदात एम्स में होती हैं. इसे रोकने के लिए जरूरी है कि कदम उठाए जाएं.

आरडीए की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया है कि कई रेजिडेंट डॉक्टर्स ऐसे हैं, जो काम के दबाव की वजह से इतने परेशान हैं कि वे एम्स से बाहर मनोवैज्ञानिक मदद ले रहे हैं. लिहाजा एम्स में कम से कम पांच मनोवैज्ञानिक काउंसलर नियुक्त किए जाएं. आरडीए के उपाध्यक्ष डॉ. जवाहर सिंह का कहना है कि एम्स में अलग-अलग राज्यों से रेजिडेंट काम करने और स्टूडेंट्स पढ़ने आते हैं.

उनका रहन-सहन, बोल-चाल और संस्कृति अलग-अलग होती है. दिल्ली जैसे शहर में ढलने में समय लगाता और कुछ दिक्कतें आती हैं. इसकी वजह से उन्हें कई बार परेशानी होती है. इन समस्याओं को दूर करने के लिए जरूरी है कि काउंसलर की मदद ली जाए ताकि एम्स के अंदर आत्महत्या जैसी वारदात को रोकी जा सके.