खबरें अभी तक। सरकार के लाख कोशिशों के बावजूद भी परिषदीय विद्यालयों में छात्रों की संख्या में कोई भी इजाफ़ा नज़र होता नहीं दिख रहा हालांकि सरकार की तरफ से मिड डे मील से लेकर किताबों और ड्रेस फल तक मुहैय्या करया जा रहा है फिर भी जनता का झुकाव निजि स्कूलों की ही तरफ दिखाई दे रहा है।सरकार ने अपनी प्रमुख योजनाओं में प्राथमिक शिक्षा को सबसे ऊपर रखा है।
आपको बतादें के बलिया में परिषदीय विद्यालयों की कुल सांख्य 2054 है जबकि उच्य0 विद्यलयो की 615 है ।1625 हेड मास्टर हैं,प्राथमिक के सहायक 1852, जूनियर के सहायक 2203 जूनियर में सहायक 264 हेड मास्टर जूनियर में जिले कुल 529 अनुदेशक जूनियर प्रा0 शिक्षा मित्रो की संख्या 2975 है।
अब समझ सकते हैं इन सारे अध्यपको, हेड मास्टरों और शिक्षा मित्रों और इस तरह के सभी टीचरों पर सरकार कितना पैसा फिर व्यय कर रही है फिर भी स्कूलों में छात्रों की सांख्य में कोई भी इजाफा नही हो रहा है । चुकी बच्चों की संख्या बल्कि यू कहे गरीब बच्चो तक जो शिक्षा का उनका जो अधिकार है। उसे सरकार की ही नही हम सबकी जिम्मेदारी है कि इन मासूम बच्चों तक किसी भी तरह पहुचना चहिये।
तो सावल ये उठता है कि इन परिषदीय विद्यालयों में आखिर छात्रों की संख्या कैसे बढ़ेगी ।इसका कारण सिर्फ सरकार को ही नही इन टीचरों , अध्यपको को शिक्षा मित्रों हेड मास्टरों को ही ढूढ़ना पड़ेगा ।क्योंकि की ये जो अघ्यापक गढ़ सरकार से मोटी रकम उठा रहे हैं जिनको सोचना पड़ेगा के की अगर इसी तरह छात्रों की संख्या दिन बदिन कम होती रही तो, इनका वजूद भी खत्म हो जायेगा । जब स्कूलों में छात्र ही नही रहेंगे तो इन टीचरों हेड मास्टरों और शिक्षा मित्रों की आवश्यकता ही क्या रह जाएगी।
इन टीचरों की भी जो लंबी चौड़ी तायदाद है. बावजूद इसके छात्रों की संख्या पर कोइ असर नहीं पड़ता दिखाई दे रहा है । इसका कारण टीचरों की कम जानकारी कहे या टीचरों का छात्रों के प्रति कम लगाओ का होना या अधयापकों का अपने कर्तव्यों का सही से निर्वाह नही करना मन जा सकता हैं ।