भविष्य के साथ खिलवाड़ करा है स्कूल अध्यापकों का सुस्त रवैया

खबरें अभी तक। हम न बदलेंगे बदलेंगे सारा ज़माना जी हां ठीक सुना आपने ये कहावत चरितार्थ कर रहे है। आज कल के प्राथमिक स्कूल के अध्यापक। मऊ जनपद के प्राथमिक विद्यालय का शिक्षण शत्र तो अप्रैल में ही शुरू हो जाता है। लेकिन हालत ये है की सभी विद्यालय के हेड मास्टर साहब के खाते में ड्रेस बनवाने के लिए पैसे भेज दिए गए थे। लेकिन साहब है कि इतने कामों में व्यस्त रहते है कि पूरा जुलाई बीतने को है। लेकिन बच्चों के ड्रेस है की बने नहीं हैं। देर से ड्रेस सिलने के लिए भेजने के कारण अब जा के स्कूल के बच्चों को वितरित किया जा रहा हैं।

वहीं प्रदेश सरकार ने भी इन प्राथमिक विद्यालयों की बद से बदतर हालत करने में कोई कसर नहीं छोड़ा है। प्रदेश सरकार इन गुरुजनों से भी दो कदम आगे निकल गयी। जुलाई ख़त्म होने को है लेकिन बच्चों को मिलने वाली किताबे अभी जनपद तक नहीं पहुंची है। जिसके कारण विद्यालयों के अध्यापकों ने फटी पुराणी किताबें जुगाड़ कर इन बच्चो को बांटी। आप तस्वीरों में देख सकते है की किताबों का कहीं पहला पन्ना गायब है तो कहीं बीच से ही कोई अध्याय गायब हो चुके है। अब ऐसे में इन बच्चो का भविष्य कितना उज्जवल है आप अंदाजा लगा सकतें है। वहीं स्कुल की छात्रा सीमा का कहना है की बिना किताबों के कैसे हमारी पढ़ाई होगी।

इस मामले में जब हमने अपर बेसिक शिक्षा अधिकारी अशोक गौतम से बात की तो उन्होंने इसका ठीकरा प्रदेश सरकार पर ही फोड़ दिया, कहा की इस बार सेलेबस में बदलाव हुआ है। इसलिए किताबों को छपने और आने में देरी हो रही है।