समलैंगिकता धारा 377 पर चल रही सुनवाई हुई पूरी, कोर्ट का फैसला सुरक्षित

खबरें अभी तक। समलैंगिकता मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने धारा 377 पर अपने फैसले को सुरक्षित रख लिया है। पिछली सुनवाई में शीर्ष कोर्ट ने कहा था कि सहमति से समलैंगिक यौन संबंधों के अपराध के दायरे से बाहर होते ही एलजीबीटीक्यू समुदाय के प्रति इसे लेकर सामाजिक कलंक और भेदभाव भी खत्म हो जाएगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह भारतीय दंड संहिता की धारा 377 की कानूनी वैधता की इसके सभी पहलुओं से जांच करेगी।

चीफ दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 158 साल पुराने दंड प्रावधान की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए धारा 377 को बनाए रखने की मांग करने वाले वकीलों के इस प्रस्ताव को खारिज किया कि इस मामले पर सार्वजनिक राय ली जानी चाहिेए। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह जनमत संग्रह नहीं चाहती बल्कि संवैधानिक नैतिकता से चलना चाहती है। संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा शामिल हैं।

बता दें कि समलैंगिकताऎ को अपराध के दायरे से बाहर किया जाए या नहीं, केंद्र सरकार ने यह फैसला पूरी तरह से सुप्रीम कोर्ट पर छोड़ दिया था।