आर्युवेदिक एवं यूनानी कार्यालय में घोटाले का बड़ा खुलासा

खबरें अबी तक। योगी राज में भ्रष्टाचार का एक ऐसा मामला सामने आया है जहां पर एक चिकित्साधिकारी ही न्याय के लिए उच्चाधिकारियों के यहां वर्षों से चक्कर काट रहा है। लेकिन जिले से लेकर प्रदेश तक के सभी आला अधिकारी घोटाला सामने आने के बाद भी आरोपियों के खिलाफ करवाई करने से कतरा रहे हैं।

जी हां ऐसी ही ख़बर यूपी के जौनपुर की है। क्षेत्रीय आर्युवेदिक एवं यूनानी कार्यालय में कुमार आयुर्वेदिक फार्मेसी नामक एक फर्म से दवाओं के नाम पर कुर्सी, कूलर, तौलिये के साथ ही स्टाशेनरी के सामानों की आपूर्ति बकायदा लिख-पढ़कर कराई गई है। अब जरा सोचिए दवाओं आपूर्ति करने वाली फर्म दवाओं के नाम पर कुर्सी,कूलर,तौलिये व स्टेशनरी सामानों की आपूर्ति भला कैसे कर सकती है? लेकिन यहां ऐसा ही हुआ है। पूरे बंदरबांट का बकायदा बिल भी मौजूद है।

इतना ही नहीं चिकित्साधिकारी की मानें तो जिले में मार्च में करीब 35 लाख की दवाओं की आपूर्ति कराई गई है। 31 मार्च 2018 को 2 लाख 48 हज़ार 921 रुपये कार्यालय कर्मचारियों की मिलीभगत से अवैध तरीके से एक निजी व्यक्ति के खाते में भेजकर शासकीय धन का जमकर बंदरबांट किया गया है। इतना सब होने के बावजूद चिकित्सालय से दवाएं नदारत है, बाबुओ और विभाग के अधिकारियों की मिली भगत से जमकर सरकारी धन का दुरूपयोग किया गया है। जिले के सबसे बड़े राजकीय आर्युवेदिक चिकित्सालय के चिकित्साधिकारी श्री प्रकाश सिंह ने पूरे घोटाले के खिलाफ शासन स्तर के अधिकारियों को अवगत कराते हुए जांच की मांग की तो भी विभाग के ज़िम्मेदार उच्चाधिकारी कुम्भकर्णी निद्रा से नही जाग रहे है।​ ​पुलिस अधीक्षक नगर के आदेश के ​करीब ​1 महीने ​होने के बावजूद शाहगंज कोतवाली पुलिस आरोपियों के ख़िलाफ़ मुकदमा नही दर्ज कर रही है। वहीं चिकित्साधिकारी मामले की जांच के लिए उच्चाधिकारियों के यहां वर्षों से चक्कर काट रहे हैं।

शाहगंज राजकीय आर्युवेदिक ​​चिकित्सालय जौनपुर जिले का सबसे बड़ा आर्युवेदिक चिकित्सालय है। यहां कागजों में तो 25 बेड है लेकिन हकीकत कुछ और ही है। टूटे 7 बेड मौजूदा हालात में है जिनपर 1 भी मरीज को भर्ती नहीं किया जा सकता है, यहां न तो शौचालय, न ही दवाएं, और न ही डॉक्टरों और स्टाफ के बैठने के लिए कुर्सियां है। यह सब हम नहीं कह रहे हैं। बल्कि यहां पर तैनात ​​चिकित्साधिकारी डॉ श्रीप्रकाश सिंह कह रहे हैं।  चिकित्साधिकारी की माने तो आला, थर्मामीटर, बैठने के लिए कुर्सियाँ इत्यादि वे अपने पैसे से मंगवाकर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। अब इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले के इस सबसे बड़े आयुर्वेदिक चिकित्सालय में मरीजों का इलाज कैसे हो पाता होगा?? इससे तो साफ होता है कि प्रदेश सरकार द्वावा स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर किए जाने वाले सभी दावे खोखले हैं। सेवाओं के तमाम दावे करती चली आ रही है।

​ ​चिकित्साधिकारी श्री प्रकाश सिंह ने जब पूरे घोटाले की जांच के लिए जिलाधिकारी से लेकर सचिव व ​निदेशक ​आर्युवेद से शिकायत की तो लखनऊ से जांच कमेटी गठित करके भेजी गयी, जिसमे जांच अधिकारी जांच करने के बाद आरोपियों ​व् फाइलों ​के साथ होटल में मौजमस्ती करते CCTV  कैमरे में कैद नजर आए। फिलहाल जांच करने आये अधिकारियों ने जांच के नाम पर खानापूर्ति करते हुए पूरे मामले को दबा दिया गया। ​CCTV के फुटेज सहित ​अन्य दस्तावेज संलग्न करके चिकित्साधिकारी ने आयुष निदेशक को इमेल द्वारा भेजकर जांच पर असंतोष जताया है इसके बावजूद कोई अधिकारी इस घोटाले पर ध्यान नही दे रहा है।