MBBS-BDS में दाखिले के मुद्दे पर हाईकोर्ट में हुई सुनवाई

खबरें अभी तक। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में शुक्रवार को एमबीबीएस/बीडीएस की काउंसिलिंग को लेकर सुनवाई हुई। हिमाचल के मूल निवासी जो राज्य से बाहर रह रहे है को राज्य कोटे में दाखिला लेने के हकदार मानने पर कोट में सहमति नहीं बनी। मामले की सुवाई कर रहे जजों ने अलग-अलग फैसले सुनाए।

न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी ने अपने निर्णय में व्यवस्था दी है कि किस श्रेणी को छूट देनी है, किसे नहीं, यह सरकार के स्तर पर लिया जाने वाला निर्णय है। चूंकि सरकार ने इस बारे में निर्णय लिया है कि जो हिमाचली प्रदेश से बाहर निजी व्यवसाय के कारण रह रहे हैं, उनको हिमाचली कोटे से कंसीडर नहीं किया जाएगा।

सरकार द्वारा लिया गया यह नीतिगत निर्णय है, इसमें अदालत का हस्तक्षेप उचित नहीं है। वहीं, खंडपीठ के दूसरे जज न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर ने अपने निर्णय में अलग राय व्यक्त करते हुए व्यवस्था दी कि आजीविका कमाने के लिए प्रदेश से बाहर जाने वाले लोगों से, चाहे वे सरकारी या अर्द्ध सरकारी नौकरी करने वाले हों, सरकार भेदभाव नहीं कर सकती।

इसे देखते हुए सरकार का उक्त निर्णय असंवैधानिक है और कानून सम्मत नहीं है। अब फैसले को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखा जाए, ताकि इस मुद्दे पर यह मामला तीसरे जज के समक्ष सुनवाई के लिए रखा जाए। खंडपीठ ने यह व्यवस्था भी दी कि 29 जून से पहले अदालत के समक्ष अपना मामला उठाने वाले याचिकाकर्ताओं को मैरिट के आधार पर दाखिला दिए जाने पर प्रदेश सरकार विचार करेगी।