शरीर से अक्षम सुरजीत रोहिल्ला ने अंतरराष्ट्रीय पदक जीता, जिले का नाम रोशन किया

खबरें अभी तक। जब इंसान के हौंसले बुलंद हों व कुछ कर गुजरने की सोच हो तो उस व्यक्ति के लिए कोई भी रास्ता कठिन नहीं होता। सच्ची लगन व मेहनत करने वालों के लिए हर रास्ता आसान होता है तथा इनके आगे हर लक्ष्य बौना साबित होने लगता है। सफलता के लिए शारीरिक तौर पर सक्षम होना जरूरी नहीं है, जरूरी है तो दृढ़ संकल्प के सक्षम होने की। गांव पुरखास के सुरजीत रोहिल्ला ने भी मन की सक्षमता के बल पर जीत हासिल कर मिसाल पेश की है।

शारीरिक रूप से अक्षम सुरजीत रोहिल्ला ने अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्तर पर अनेक पदक और अवार्ड जीतकर सोनीपत जिले का नाम रोशन किया है। साधारण परिवार में 12 अगस्त 1986 को पैदा हुए सुरजीत बचपन से पोलियो ग्रस्त हैं। पिता रामकुवार गांव में ही सिलाई का काम करते हैं, जिससे घर का गुजर-बसर भी सही ढंग से नहीं हो पाता। सुरजीत अपने पिता रामकुंवार के साथ गांव में एक 30-35 गज के कच्चे मकान में रहते हैं।

सुरजीत रोहिल्ला के दोनों पैर सही नहीं होने की वजह से वह खड़े नहीं हो सकते। इस अक्षमता को उन्होंने कभी भी अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। सुरजीत रोहिल्ला ने इसे ताकत बनाकर पैरा एथलेटिक्स शॉटपुट में अनेक पदक और पुरस्कार जीते हैं। सुरजीत रोहिल्ला का सपना अक्टूबर 2018 में जकार्ता में आयोजित होने वाले एशियन गेम्स में देश के लिए पदक जीतना है। सुरजीत रोहिल्ला अब तक अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्तर पर अनेक मेडल जीत चुका है।

साउथ अफ्रीका के टयूनिशिया में आयोजित हुई वल्र्ड पैरा एथलेटिक्स ग्रैंडप्रिक्स 2018 में पुरखास गांव के सुरजीत रोहिल्ला ने एफ-55 कैटेकरी में दो पदक हासिल किए। जिसमें शॉटपुट व डिस्कस थ्रो में कांस्य पदक  पदक हासिल कर देश व सोनीपत जिले का नाम रोशन किया। इंडोनेशिया के जकार्ता में अक्टूबर 2018 में एशियन गेम्स आयोजित होंगे। जिसके लिए टयूनिशिया में क्वालीफाई करने के लिए ट्रायल हुए हैं। जिसमें पुरखास गांव के सुरजीत रोहिल्ला ने एफ-55 कैटेगरी में शॉटपुट व डिस्कस थ्रो में कांस्य पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया।

यह सफर इतना आसान नहीं था। हर पग पर संघर्ष की एक कहानी है। शारीरिक रूप से अक्षम होने के साथ ही उनके परिवार की आर्थिक स्थिति भी कमजोर है। आर्थिक कमी ने उनके संघर्ष को दोगुना कर दिया। पिता मेहनत मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करते हैं।

वर्तमान समय में उनकी इतनी हैसियत नहीं है कि वे अपने दम पर अपने बच्चे को बेहतर सुविधाएं दे सके। वे अपने बेटे की इस कामयाबी पर बहुत खुश हैं। उन्होंने कहा कि सुरजीत बहुत मेहनती लडक़ा है और कड़ा अभ्यास करता है, उसके अभ्यास के मुताबिक वे उसे भरपूर डाइट भी नहीं दे पाते। जिसका उन्हें मलाल है।

सुरजीत बचपन से ही मेहनती लडक़ा है और जो भी कार्य करता है वे पूरे आत्मविश्वास के साथ करता है, जिससे उसे कामयाबी मिलती है। वे अपने दोस्त की इस उपलब्धि के लिए उसे बधाई देते हैं अैार भगवान से सुरजीत के उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं। सुरजीत रोहिल्ला ने बताया कि उन्होंने करीब 15 मेडल जीते हैं। वे अब तक अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्तर पर अनेक मेडल जीत चुका है। इससे पहले उन्होंने पावर लिफ्टिंग में भी अनेक पदक हासिल किए थे।

सुरजीत को सही डाइट दी जाए तो सुरजीत अपनी काबिलियत पर देश को गोल्ड मेडल दिला सकता है। उन्होंने कहा कि वे चाहती है कि सरकार सुरजीत की आर्थिक मदद करे ताकि वह अपनी प्रतिभा में ओर निखार लाकर एशियन गेम्स और ओलंपिक गेम्स में देश के लिए सोना जीते।