भीषण गर्मी और सूखग्रस्त बुंदेलखंड में हेण्डपम्प चाची बनी मसीहा

खबरें अभी तक। भीषण गर्मी और सूखग्रस्त बुंदेलखंड में जल संकट ने विकराल रूप ले लिया है। प्राकृतिक जल स्रोत जहां पूरी तरह से सूख चुके हे वहीं ट्यूबबेल और हेण्डपम्प भी जबाब देने लगे हैं। ऐसे में बून्द-बून्द पानी को तरसते ग्रामीणों के लिये इन आदिवासी महिलाओं का एक समूह मसीहा बन चूका हे गांव के लोगों ने पिछले 7 सालो से हेण्डपम्प वाली चाची के नाम से जानते और बल्कि आसपास के गांव के लोग इन्हे हेण्डपम्प वाली चाची बोलते है।

बुंदेलखंड में पिछड़ेपन की शिकार घरेलु महिलाएं आमतौर से घरों से निकलने में भी कतराती हैं तो वहीं इस समूह की महिलाएं हथौड़ा और रिंच लेकर एक गांव से दूसरे जाकर ख़राब पड़े हेण्डपम्प की मरम्मत करती है ताकि गांव वालों को पानी के लिए जद्दोजहद न करनी पड़े। 15 महिलाओं का यह समूह  छतरपुर के घुवारा क्षेत्र की झिरियाझोर गांव ताल्लुक रखता हे। इस समूह द्वारा 7 -8 सालो से लगातार हेण्डपम्प सुधारने का काम कर रही है। इन महिलाओं को कभी-कभी  25 से किमी दूर भी जाना पढ़ जाता मगर बिना किसी परवह किये औजारों का   थैला उठा कर चल देती है। 15 आदिवासी माहिलाओं का उद्देश्य और जज्बा पिछड़ेपन के बावजूद इस गांव की अलग पहचान बना रहा है। यह आदिवासी महिलाओं का समूह हैंडपंप सुधारने में माहिर है।

सबसे बड़ी बात यह कि अपने घरेलू कामकाज के साथ यह समूह हैंडपंप सुधार की निःशुल्क सेवा करता है। इनके काम को देखते हुए इन्हें अन्य प्रांतों में भी बुलाया जा चुका है। साथ ही कई आयोजनों में महिलाओं के बीच इनकी मिसाल पेश की जाती है। जब इस इलाके में कोई भी हैंडपम्प खराब हो जाता है तो लोगों को पीएचई विभाग की नहीं याद आती क्योंकि सरकारी प्रक्रिया में लगभग एक सप्ताह का समय लग जाता है। लेकिन आदिवासी महिलाओं के इस ग्रुप को बस संदेशा भेजो और तुरंत निकल पड़ती हैं। इन जांबाज महिलाओं की टोली को ना चिलचिलाती धूप की परवाह है ना किसी और बात की वही समूह की महिलाओ ने बताया आज तक सरकार ने किसी भी प्रकार की मदद नहीं की।

वहीं ग्रामीणों ने बताया की यह समूह पिछले 8 सालो से लगातार बिना किसी परवाह किये संदेश मिलते ही महिला अपने-अपने घरो से निकल कर हेण्डपम्प सुधरने को निकल जाती है। मगर इनको तमाम जगह बुलाया मगर किसी ने कोई मदद नहीं की सिवाय आश्वासन के आते बोल जाते मगर व्हीं होता हे जो होता चला आ रहा है।

पुरुष प्रधान क्षेत्र में हेण्डपम्प चाची मिसाल बन गई है।  इन जांबाज महिलाओं की टोली को ना चिलचिलाती धूप की परवाह है ना किसी और बात की। हलांकि सरकार को ऐसे समूह जो जमीनी धरातल पर काम कर रहे इनकी मदद करनी चाहिये इस तरह के समूह लोग जुड़े।