किसानों की लगभग डेढ़ सौ एकड़ नरमे की फसल पानी में डूब गई

खबरें अभी तक। कालांवाली क्षेत्र के किसानो की फसल पर एक बार फिर से पानी फिरता नजर आ रहा है। इस बार किसानो को मार नहरी पानी से हुई है जिसकी वजह से किसानो की लगभग डेढ़ सौ एकड़ नरमे की फसल पानी में डूब गई। मिली जानकारी के अनुसार कालावाली से सुखचैन रोड पर कालुआना ब्रांच नहर टूटने से गांव गदराना व ताऱुआना के किसानों की लगभग डेढ़ सौ एकड़ फसल में पानी भर गया और साथ ही किसानों के एक दर्जन नलकूपों की मोटर भी पानी की भेंट चढ़ गई।

किसानों ने विभाग के अधिकारियों को सूचित भी किया लेकिन सूचना मिलने के बाद भी टूटी हुई नहर को बंद करने के लिए अभी तक कोई अधिकारी नहीं पहुंचने पर ग्रामीणों और किसानो में रोष है वहीं इस बारे जब उच्च अधिकारियो से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जैसे ही उनको पता चला की नहर टूटी है तुरंत उन्होंने नहर पर बांध बनाने का कार्य शुरू कर दिया था। यहाँ आपको बता दे कि काफी समय से नहरों की सफाई भी नहीं करवाई गई है जिससे ये हादसे लगातार बढ़ते जा रहे है और किसानो को नुकसान उठाना पड़ रहा है।

किसानों और ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें नहर टूटने का पता सुबह चला था। किसानों और ग्रामीणों ने बताया कि महंगे भाव के बीज लेकर नरमे की फसल की बिजाई की थी लेकिन पानी भरने से उनको काफी नुकसान हुआ है. किसान अपने स्तर पर अपने खेतों से पानी निकालने में लग गए।  फसलों में पानी भरने से कई ढाणियों में भी पानी पहुंचने से नुकसान हुआ है, लेकिन किसानों ने समय रहते हुए अपनी ढाणी के आगे बाध बनाकर ढाणी में पानी को घुसने से रोक लिया। वही किसानों ने रोष जताया की न कोई अधिकारी ना कोई कर्मचारी.

वहीं इस बारे जब नहरी विभाग के उच्च अधिकारियो से बात कि गई तो उन्होंने बताया कि उन्हें नहर टूटने की सुचना मिली थी. जिस पर उन्होंने अपने अधिकारियो को मोके पर भेज दिया है साथ ही उन्होंने बताया कि इसकी जाँच भी करवाई जाएगी। सफाई के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि उनके पास कर्मचारियों का टोटा है जिसकी वजह से सफाई और देखभाल सही तरीके से नहीं हो रही है वही उन्होंने बताया कि पहले साल में 2 बार नहरों की सफाई करवाई जाती थी पहले मनरेगा के तहत सफाई करवाई जाती थी लेकिन इस बार टेंडर देने भी देरी हो गई।

किसानो का कहना है कि जहां से यह नहर टूटी है वहां पर कुछ ही महीने पहले नया मोगा लगाया गया था अब सवाल यह भी उठता है  कि नया मौगा लगाने पर घटिया निर्माण के सामान का प्रयोग तो नहीं किया गया जिससे यह टूट गया। फि़ लहाल जाँच का विषय है।  वही नहरों की सफास, ई न होना भी इसका बड़ा कारन है। विभाग  अधिकारियो ने माना है की उनके पास कर्मचारियों का टोटा है अब कब तक कर्मचारियों का टोटा रहेगा ये तो  समय ही बताएगा लेकिन इस से किसानो को नुकसान तो उठाना ही पड़ रहा है।