कागजों में बना मॉडल स्कूल, बच्चों को नहीं मिलती मूलभूत सुविधाएं

खबरें अभी तक। राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय खुशनगरी जिसका मॉडल नाम सिर्फ कागजों तक सीमित खुश नगरी स्कूल 2010 में मॉडल स्कूल घोषित हो गया था और कागजों में ही यह मॉडल स्कूल बन गया है। परंतु स्कूल की हालत को देखकर यह नहीं लगता कि यह मॉडल स्कूल है। क्योंकि इस स्कूल में स्टाफ की कमी है और इस फोन में कमरों की बहुत अधिक कमी है। एक कमरे में 40 40 बच्चें करते हैं। यह बच्चें जैसे भेड़-बकरियां बैठती हैं उस तरह से बैठते हैं। क्योंकि स्कूल में कमरों की बहुत अधिक आवश्यकता है। वैसे तो यह मॉडल स्कूल है परंतु यहां के बच्चों को मॉडल स्कूल वाली कोई भी सुविधा नहीं मिलती। इसके बारे में एसएमसी कमेटी की ओर से भी कई बार प्रशासन को सूचित किया गया। परंतु प्रशासन आज तक इसके ऊपर कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है या तो इस स्कूल का नाम मॉडल स्कूल से हटा दिया जाए या तो इसे मॉडल स्कूल जैसा बनाया जाए और मॉडल स्कूल जैसी सुविधाएं दी जाए।

वहीं दूसरी और स्कूली बच्चों को कहता है कि हमारा स्कूल 2010 में मॉडल स्कूल बन गया है। तब से लेकर आज तक हमें मॉडल स्कूल वाली कोई भी सुविधाएं नहीं मिलती। यहां पर स्टाफ की कमी है जिसके चलते हमारा भविष्य खराब हो रहा है और यहां पर कमरों की बहुत ज्यादा समस्या है हमारी कई बार क्लास से बाहर बरामदे में या ग्राउंड में लगती है। क्योंकि इस स्कूल के कुल 4 कमरे हैं और चार कमरे में 6 क्लास से नहीं लग सकती हमें दुख इस बात का है कि यह मॉडल स्कूल तो बना दिया। परंतु मॉडल स्कूल जैसी हमें सुविधाएं भी मिले परंतु यहां पर हमें मॉडल स्कूल जैसे कोई सुविधाएं नहीं मिलती है इसलिए प्रशासन से मांग है कि अगर इसे मॉडल स्कूल बनाया है। तो मॉडल स्कूल जैसी सुविधाएं भी हमें मिलनी चाहिए।

वहीं दूसरी और एसएमसी कमेटी अध्यक्ष का कहना है कि यह 2010 में मॉडल स्कूल बन गया पर यह के बच्चों को मॉडल स्कूल जैसी सुविधाएं नहीं मिलती है। इसके बारे में हमने कई बार प्रशासन को अवगत करवाया कि हमारा स्कूल मॉडल स्कूल है और मॉडल स्कूल जैसी सुविधाएं मिलनी चाहिए परंतु प्रशासन इसके ऊपर कोई कार्यवाही नहीं करता है। इसलिए हमारी फिर से सरकार से मांग है कि या तो इस स्कूल पर जो मॉडल स्कूल का नाम लिखा है उसे हटा दिया जाए या इसे मॉडल स्कूल बना दिया जाए ताकि मॉडल स्कूल के नाम पर ऐसे स्कूल धब्बा न लगा सके।