मेवात: एक माह से पानी की किल्लत से जूझ रहे लोग, नहीं दे रहा कोई ध्यान

ख़बरें अभी तक। रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून..ये पंक्तियां पानी की अहमियत बताने के लिए काफी हैं. पानी के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती. मेवात जिले में 400 से अधिक गांव हैं. नहरी पानी जिले के कुछ ही गांवों के लोगों को पानी नसीब हो पाता है. आजकल कई जगह पानी की किल्लत देखने को मिल रही है, बच्चों से लेकर बुजुर्ग महिलाएं पीने के पानी को लेकर परेशान दिख रहे है.

फसलों की सिंचाई से लेकर तालाब भरने में यहां की जनता को हर बार परेशानी झेलती है. अप्रैल के महीने से ही मेवात के तालाब सूखने लग जाते हैं. सूखे तालाब देखकर मेवात के लोगों को चिंताएं बढ़ गई है. ज्यादातर गांवों में ना पीने को ना रोजमर्रा के दूसरे कामों के लिए पानी है.

मेवात के हालातों को देखकर लगता है कि सरकार और राज नेताओं ने भी मेवात से मुंह मोड़ लिया है. दक्षिण हरियाणा के ज्यादातर हिस्सों में पानी की कमी से जूझ रहा है मेवात, मेवात में मवेशी भी पानी की कमी से जूझ रहे हैं.

बता दें कि मेवात में गिरता भू जल स्तर चिंता का विषय बना हुआ है. भू जल स्तर दिनों दिन गिरता जा रहा है. ऐसे में लोगों के सामने पानी की किल्लत बनी हुई है, हालांकि मेवात में रैनीवेल परियोजना कुछ हद तक लोगों को पानी उपलब्ध करा रही है, लेकिन आज भी ऐसे कई गांव है. जहां पर पानी को किसी कीमती वस्तु से कम नहीं आंका जाता, जिले के कुछ गांवों में हालात ऐसे है, जहां पर भू जल करीब तीन सौ फूट से भी नीचे चला गया है. पानी की किल्लत हमेशा मेवात में बनी रही है. नहरें और तालाब सूखे हुए हैं. बरसात साल दर साल कम होती जा रही है. जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के टयूबवैल जिले में जवाब दे चुके हैं.

आपको बता दें की मेवात की जमीन में अधिक्तर पानी खारा है, यहां तक खेतों की सिंचाई के लिए भी यहां का पानी लाभदायक नहीं है. खारा पानी होने के कारण वर्षो से पीने के पानी की समस्या बनी हुई है. वर्ष 2004 इनेलो की सरकार द्वारा रैनिवेल परियोजना को अमलीजामा पहनाया गया, ताकि यहां के लोगों को पीने का पानी उपलब्ध हो सके, लेकिन रैनीवेल परियोजना भी लोगों को पानी पंहुचाने में सक्षम नहीं हो पा रही है, आज भी ऐसे कई गांव हैं जिनको रैनीवेल से नहीं जोड़ा गया है या फिर जिन्हें जोड़ा गया है उन लाईनो में पानी नहीं छोडा गया है.

पिछले एक माह से क्षेत्र में भीषण गर्मी का कहर जारी है. ऐसे में फिरोजपुर झिरका के गांवों में पानी की किल्लत हो गई है. लोगों पानी के टैंकर 900 से 1000 रुपए देकर खरीद रहे हैं, क्षेत्र में पानी की किल्लत को दूर करने के लिए जिला प्रशासन ने कोई खास प्रबंध नहीं किए है. नगीना खंड के लगभग 50 से अधिक गांव ऐसे हैं, जहां पानी की भारी किल्लत है.