यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण में 126.42 करोड़ के घोटाले का हुआ पर्दाफाश

खबरें अभी तक। यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के लिए खरीदी गई जमीन में 126.42 करोड़ रुपये के घोटाले का खुलासा हुआ है। इस मामले में वाईईआईडीए के पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता, डीसीईओ सतीश कुमार समेत 21 लोगों के खिलाफ नोएडा के कासना थाने में आईपीसी की धारा-420, 467, 468, 471 और120बी के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।

वाईईआईडीए के बंद कमरों में जमीन के बन्दरबाट का खेल खेला जा रहा था। इसकी सूचना के बाद प्राथमिक जांच की गई। जिसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की रिपोर्ट सामने आई है। दरअसल, यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के तत्कालीन सीईओ पीसी गुप्ता ने अफसरों, परिचितों, मित्रों और दलालों के साथ मिलकर 19 शेल कंपनी बनाई। इन कंपनियों के माध्यम से मथुरा जिले के 7 गांवों की 57.1549 हेक्टेयर भूमि खरीदी गई।

इसके बाद इन कंपनियों के माध्यम से ये जमीन यमुना प्राधिकरण को बेच दी गई। आरोप है कि उस जमीन की जरूरत प्राधिकरण को नहीं थी। फिर भी उस समय प्राधिकरण के निर्धारित रेट से अधिक दर पर जमीन खरीदी गई। और, उसके एवज में 126.42 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया। यह भी आरोप है कि इस भ्रष्टाचार को पीसी गुप्ता, डीसीईओ सतीश कुमार, ओएसडी बीपी सिंह, तहसीलदार सुरेश चंद, तहसीलदार रणवीर सिंह, नायब तहसीलदार चमन सिंह, प्रबंधक परियोजना अतुल कुमार सिंह, प्रबंधक नियोजन बृजेश कुमार और लेखपाल पंकज कुमार ने शेल कंपनियों के माध्यम से अंजाम दिया।