कमाल का ज्ञान रखते है अमर सिंह, तभी तो जिला प्रशासन हमीरपुर लेता है इनकी मदद

ख़बरें अभी तक। जिला प्रशासन हमीरपुर के लिए कीमती रत्न हैं हमीरपुर के ये बुजुर्ग. ऊर्दू में लिखे पुराने दस्तावेजों को समझने के लिए जिला प्रशासन लेता है बुजुर्ग अमर सिंह की मदद. आसानी से नहीं मिलते ऊर्दू पढ़ने लिखने वाले. चंद बुजुर्ग ही पढ़ पाते हैं जटिल ऊर्दू. 1910 से लेकर 1961 तक की अवधि के कई दस्तावेज उक्त भाषा में हैं. ऐसे में जरूरत पड़ने पर जिला प्रशासन की मदद करते हैं अमर सिंह.

उर्दू भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्व विभाग से रिटार्यड कानूनगो 84 वर्षीय अमर सिंह सेवानिवृति के बाद भी अपनी सेवाएं दे रहे है. राजस्व विभाग में 1910 से लेकर 1962 तक का रिकार्ड उर्दू भाषा में होने पर पर्चा, ततरीमा और अन्य जानकारी के लिए उपायुक्त कार्यालय में सेवाएं दे रहे अमर सिंह जुटे हुए है. उम्र दराज होने के बावजूद भी अमर सिंह उर्दू का रिकार्ड चंद मिनटों में पढ़कर पर्चा, ततरीमा बनाने के लिए काम करते है.

बता दें कि राजस्व विभाग से कानूनगो के पद से सेवानिवृत हुए खंदेड़ा गांव निवासी 84 वर्षीय अमर सिंह आज भी राजस्व विभाग व जिला के लोगों को प्ररेणा बने हुए हैं. वर्ष 1954 में राजस्व विभाग में नौकरी पर लगे तथा जुलाई 1992 में वे भोरंज राजस्व विभाग से कानूनगो के पद से सेवानिवृत हुए. उन्होंने ऊर्दू तथा फारसी भाषा में दसवीं कक्षा तक की शिक्षा प्राप्त की है.

अमर सिंह के अनुसार उर्दू में रिकॉर्ड के अनुसार जमीन की पैमाइश बगैरह करना आसान था लेकिन अब मीटर सैटीमीटर में किए जाने पर पैमाइस करना आसान नहीं रहा है. उन्होंने मलाल जताया कि उर्दू रिकॉर्ड पढ़ने के लिए  बहुत ही कम मेहनताना दिया जाता है.

गौरतलब है कि उर्दू के साथ फारसी भाषा का भी बुजुर्ग अमर सिंह ज्ञान रखते है. अमर सिंह ऊर्दु भाषा में राजस्व विभाग के रिकॉर्ड को गांव तथा शहर के लोगों तक पहुंचाने में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. ऊर्दू ज्ञान में प्ररेणा को लेकर उन्हें किसी भी स्कूल द्वारा पहल नहीं की. उन्होंने कहा कि जिला के अन्य लोगों को इस प्रकार प्रेरणा पाने वाले लोगों से सीख की आवश्यकता है. दिन भर राजस्व विभाग की पुरानी राजस्व संबंधी नकल को लेकर लोगों को उनके पास आना जाना लगा रहता है.