केरल, हिमाचल के बाद अब हरियाणा में भी निपाह वायरस को लेकर अलर्ट जारी

ख़बरें अभी तक। केरल से हिमाचल पहुंचा निपाह वायरस, अब हरियाणा में भी निपाह वायरस को लेकर हरियाणा सरकार ने अलर्ट जारी कर दिया है. सरकार ने सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को इसके लिए पूरे इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही दूसरे प्रदेशों से आने वाले पर्यटकों पर भी नजर रहेगी.

निपाह वायरस को लकेर स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने शुक्रवार को सिविल सर्जन को निर्देश दिए कि निपाह वायरस से पीड़ित मरीजों के लिए पहले ही समुचित वार्ड, जांच, उपचार तथा आवश्यक दवाइयों का प्रबंध कर लिया जाए. चमगादड़ों से फैलने वाला यह वायरस गंभीर बीमारी का जनक है, जिसके बचाव में ही सुरक्षा है. विज ने सभी होटल मालिकों, पर्यटन केंद्र संचालकों तथा रेस्तरा उन्‍होंने कहा कि यह एक संक्रामक बीमारी है और एक व्यक्ति से दूसरे तक फैलती है. इसलिए दक्षिण भारत से आने वाले सभी पर्यटकों का पूरा ध्यान रखा जाएगा. इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं होनी चाहिए.

निपाह वायरस के लक्षण…

बुखार, बदलती मानसिक स्थिति, गंभीर कमजोरी, सिरदर्द, सांस लेने में परेशानी, खांसी, उल्टी, मांसपेशियों में दर्द, कंपन एवं ऐंठन और दस्त निपाह वायरस के लक्षण हैं. संक्रमित लोगों में निपाह वायरस मस्तिष्क (एन्सेफलाइटिस) की सूजन या सांस की बीमारी का काफलों को खरीदने और उन्हें खाने के दौरान जरा सी लापरवाही महंगी पड़ सकती है. निपाह वायरस का सबसे बड़ा खतरा अब फलों से भी पैदा हो गया है.पेड़ से गिरे हुए, कटे या फटे फलों को खाने से निपाह वायरस का खतरा हो सकता है. फलों को निपाह वायरस से पीड़ित चमगादड़ द्वारा चाटा या खाया गया हो सकता है.

निपाह ऐसा वायरस है जो जानवरों से इंसानों में फैल सकता है. यह जानवरों और इंसानों दोनों में गंभीर बीमारियों की वजह बन सकता है. वायरस का मुख्य स्त्रोत वैसे चमगादड़ हैं जो फल खाते हैं. इसके अलावा पीने के पानी को लेकर भी सावधानी बरतने की जरूरत है. निपाह वायरस सबसे पहले व्यक्ति के दिमाग पर असर डालता है. इस वायरस की चपेट में आने वाले व्यक्ति के दिमाग में सूजन हो जाती है. इसके बाद यह छाती में संक्रमण पैदा करता है, जिससे सांस लेने में दिक्कत आनी शुरू हो जाती है. इससे व्यक्ति बेसुद होना शुरू हो जाता है.

बता दें कि इस वायरस का वर्तमान में कोई इलाज नहीं है. अन्य वायरस की तरह इसकी अभी कोई वैक्सीन नहीं बनी है. ऐसे में निपाह वायरस से बचाव में ही बचाव है. इसकी चपेट में आने के बाद बचने के केवल तीस फीसद चांस होते हैं.

 अब आपको बता ते है कि निपाह वायरस की पहचान कब हुई

निपाह वायरस की सबसे पहले पहचान 1998 में मलेशिया के निपाह इलाके में हुई थी. यह बीमारी चमगादड़ों से इंसानों और जानवरों तक में फैल गई थी. 2001 में बांग्लादेश में भी इस वायरस के मामले सामने आए थे.

निपाह वायरस से बचने के लिए फलों से करें परहेज

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार केरल सहित उसके पड़ोसी राज्यों से आने वाले फल जैसे केला, आम और खजूर खाने से परहेज करें. खासकर पेड़ से गिरे फलों को खाने से बचें. कटे-फटे फलों से निपाह वायरस का खतरा रहता है. फलों को पोटाश वाले पानी में धोकर खाएं. संक्रमित सुअर और इंसानों के संपर्क में न आएं. जिन इलाकों में निपाह वायरस फैल गया है वहां न जाएं. व्यक्ति और पशुओं के पीने के पानी की टंकियों सहित बर्तनों को ढककर रखें. बाजार में कटे और खुले फल न खाएं. चिकित्‍सा विशेषज्ञ के अनुसार, चमगादड़ों की लार या पेशाब के संपर्क में न आएं. निपाह वायरस के लक्षण पाए जाने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएं.