माँ तुझे सलाम, मदर्स डे पर एक माँ के संघर्षों की कहानी

खबरें अभी तक। मां तुझे सलाम। मां शब्द कहने को तो बहुत छोटा है लेकिन इसके माइने बहुत बड़े हैं। जी हां मां  के आगे तो भगवान भी अपने शीश झुकाते है। मां के संघर्ष के आगे किसी की भी जीत नहीं हुई है। मां ना केवल अपने बच्चे को नौ महीने पेट में रख कर पीड़ा सहती है बल्कि मॉ जीवन भर अपने बच्चों पर अपने ऑचल की छांव रखती है। ताकि उसके बच्चे सुख से जीवन यापन कर सके। ऐसी ही एक मां की कहानी भिवानी की जिसने अपने संघर्ष से अपने बच्चों के हाथों की लकीरे बदलने का प्रयास किया है। तथा आज वह काफी हद तक कामयाब भी हो चुकी है।

मूल रुप से गांव खरक निवासी रानी अब भिवानी के सैक्टर 13 में एक किराय के मकान में रह रही हैं। उसके तीन बच्चें हैं। जो कि राजकीय स्कूल में पढ़ते है। रानी के संघर्ष कहानी सुनेगे तो चौक जाएंगे। रानी के पति रोहतक में एक दुकान पर नौकरी करते है तो खुद रानी कम पढ़े लिखे होने के बावजूद घर में ही कपड़े सील कर घर का गुजर करती है। रानी के तीन बच्चे है जिसमें दो बेटियां व एक बेटा है। आज रानी की बेटियां ना केवल पढ़ाई में बल्कि खेलो में भी अव्वल है ओर कई मेडल लेकर आई हैं। चाहे वह स्टेट स्तर की प्रतियोगिता हो या फिर नेशनल स्तर की। रानी ने अपने बच्चों को अब ऐसे मुकाम पर पहुंचा दिया है कि आस पड़ोस के लोग तो उस पर गर्व करते ही है तथा खुद गांव के लोग भी उस पर गर्व करते हैं। रानी अपने पति मुकेश के साथ गांव में ही रहती थी पांच वर्ष पूव रानी ने अपने पति से बात की कि वह अपने बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ खेल में भी भागीदारी करवाना चहाती है। मुकेश भी मान गए ओर गांव में ही रानी की बेटियां व बेटा हॉकी खेलने लगे। हॉकी  खेलते देख गांव वालो ने रानी को ताने मारने शुरु कर दिए तो मुकेश ने अपनी बेटियों को खेलना बंद करवा दिया।

रानी ने एक बार तो हिम्मत छोड़ दी लेकिन उसके मन में चल रही अपने बेटियों के भविष्य की चिताओं ने जैसे उसे रुकने ही नही दिया। एक दिन गांव में योगा की क्लास लगने लगी। तीनों बच्चों ने योगा में अपनी रुचि दिखाई ओर योग शिक्षको ने भी उन्हें आगे बढऩे का मौका दे दिया। रानी अपने बच्चों को प्रतिदिन भिवानी पहले स्कूल में फिर शाम को योगा कक्षा में लेकर आती ओर रात तक अपने गांव पहुंचती ताकि उसकी बेटियां योगा अभ्यास में निपुण हो सके। योगा में रानी के तीनो बच्चों ने अपनी कला से सबका मन जीत लिया ओर अनू, सन्नी व करिश्मा तीनों ही मेडल ले कर आए।   रानी प्रतिदिन अपने बच्चों के साथ साय की तरह रहती ताकि तीनों को बस में आने जाने में केाई दिक्कत ना हो क्योंकि प्रतिदिन शाम को लौटते समय बसों का इंतजार करते करते वे लोग रात तक घर पहुंचते।

जब देर रात तक घर पहुंचते तो फिर गांव के लोग व परिवार के लोग उन्हें ताने मारते की दिन भर अपने बच्चों के साथ पता नही कहा घूमती है लेकिन रानी ने अब किसी की परवाह नहीं की वह अपने मकसद को लेकर चल रही थी तथा उसने पीछे हटना मुनासिफ नही समझा ओर आगे बढऩा शुरु कर दिया। प्रतिदिन रात होने तक वह अपने बच्चों के साथ घर पहुंचती तो उसने अपने पति से बात करके भिवानी रहने का मन बनाया क्योंकि योग प्रशिक्षक भी कम समय होने के कारण उन्हें कहते थे कि वे भिवानी रहें ताकि ओर अधिक समय वे योगा को तथा पढ़ाई को दे सकेंगे।

पिछले छह माह से रानी अपने परिवार के साथ किराय के मकान में रह रही है।  योगा को अधिक समय मिलने के कारण अब तीनो बच्चे कई मेडल प्राप्त कर चुके हैं। करिश्मा ने योगा में नेशनल में दो बार गोल्ड़, नेशनल व स्टेट में 4 सिल्वर व 1 बार ब्रॉज मेंडल लिया है। सन्नी ने नेशनल में एक गोल्ड, 1 सिल्वर व एक ब्रॉज मेडल लिया है। अनू की बात करे तो अनू भी दोनो से पीछे नही है। अनू ने नेशनल में दो गोल्ड, तीन सिल्वर व 1 ब्रॉज मेडल लिया है। करिश्मा व अनू का कहना हे कि उनकी मॉ के प्रयास व संघर्ष के कारण ही वे दोनो यहां तक पहुंची हैं। उनका कहना है कि उनका मॉ का संघर्ष ही उनके काम आ रहा है। उनकी वजह से ही वे आज इस मुकाम तक पहुंच सकी है।

वहीं दोनो बेटियों की मॉ रानी का कहना है कि वे 10वीं तक पढ़ पाई थी कि उनके माता पिता ने उसकी शादी कर दी थी। वह जीवन में ज्यादा कुछ नहीं कर पाई थी। लेकिन अपनी बेटियों को किसी से भी कम ना रहे। इसके लिए उसने जिम्मेदारी ली कि वे आगे बढ़ाने के लिए हर संघर्ष करेंगी। वे अब कर भी रही है। आज वह प्रतिदिन सिलाई से तीन सौं रुपए कमाती है ताकि वह उन पैसो से घर के खर्च के साथ साथ किराया भी दे सके। रानी का कहना है कि उनकेक पति भी रोहतक में एक दुकान पर मजदूरी करते है।

योगा प्रशिक्षण सुनील शर्मा का कहना है कि इन बच्चों की मॉ के संघर्ष के कारण ही ये आज यहां तक पहुंच पाई हैं। उन्हेांने कहा कि वे भी इनकी मॉ के संघर्ष को सलाम करते है जिनकी बदौलत वे आज यहां तक पहुंच पाई है। उन्होंने बताया कि उनकी ऐकडमी में प्रतिदिन तीनो बच्चें आते है तथा आज उन्होंने कई मेडल लिये हैं।