मां-बाप से दूर रहने वाले बच्चों को झज्जर जिला प्रशासन ने दिया अपनापन

खबरें अभी तक। जब अपनो का साया सिर पर ना हो तो जिदंगी जीना मुश्किल ही नहीं नामुनकिन सी हो जाती है। इस हालात में  कोई पराया जब अपना बन कर आता है तो जिंदगी एक बार फिर से शुरू हो जाती है। इसी अपनेपन की झज्जर जिला प्रशासन ने एक अनोखी मिशाल पेश की है। माता-पिता से अलग दो महिने की बच्ची झज्जर जिला बाल भवन में आई , उस बच्ची को जिला प्रशासन ने इस कदर दुलार और प्यार दिया कि जो अपने भी ना दे पाए। दो महिने की मासूम को ना सिर्फ उसका नाम दिया बल्कि उसी के नाम से झज्जर बाल गृह का नाम रख दिया गया।

जी हां कुछ ऐसा हुआ है झज्जर में। जिला उपायुक्त सोनल गोयल के हाथो में आप जिस दो माह की बच्ची को आप देख रहे हैं अब ये बेनाम नहीं है बल्कि इस बच्ची का नामकरण हो गया है। अब ये बच्ची भी दुनिया में अपने नाम से जानी जाएगी। जिला उपायुक्त ने बच्ची का नाम उमंग दिया, इतना ही नहीं बच्ची के नाम पर ही झज्जर बाल गृह का नाम भी उमंग ही दे दिया गया है। दो रोज पहले तक ये दो माह की मासूम जो नाम और पहचान से वंचित थी अब इस बच्ची को इस जहां में  इसके खुद के नाम से जाना जाएगा। इतना ही नहीं इतिहास के पन्नों में ये भी लिखा जाएगा कि बच्ची के नाम पर ही झज्जर जिले के बाल गृह का नाम भी सन 2018 में ही दिया गया था।

जिला बाल कल्यान परिषद के माध्यम से संचालित बाल गृह में विपरित परिस्थितियों में परिवार से दूर रहने वाले बच्चों को अपनापन देते हुए उन्हें घरेलू माहौल प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने बाल गृह में पहुंची नवजात बालिका जिसका नाम उपायुक्त की ओर से उमंग दिया गया है उसे गोद में ले दुलार देते हुए उसके उज्ज्वल भविष्य की कामना भी की।

इस बारे में जिला उपायुक्त सोनल गोयल ने कहा कि बालगृह में आई नन्ही बेटी उमंग के नाम से ही अब बाल गृह बहादुरगढ़ को भी उमंग बाल गृह के नाम से जाना जाएगा जोकि बेटियों को समर्पित है। उन्होंने कहा कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ राष्ट्रीय कार्यक्रम में झज्जर जिले की उल्लेखनीय भागीदारी है, ऐसे में बेटियों के जन्म से लेकर उन्हें शिक्षित व सुरक्षित माहौल प्रदान करने के लिए प्रशासन की ओर से सरकार की योजनाओं को प्रभावी ढंग से क्रियांवित किया जा रहा है। उन्होंने डेढ़ माह आयु की नवजात बालिका उमंग के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी लेते