भारत की जेलों में सजा पूरी कर चूके कैदियों को स्वीकार करने से मुकरता पाकिस्तान

खबरें अभी तक।  भारत की जेलों में पिछले 13 सालों से बंद 393 पाकिस्तानी कैदियों के कारण भारत सरकार के लिए मुश्किलें बड़ा दी है। मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि पिछले एक साल में जिन कैदियों की सज़ा पूरी हो गई है, उन्हें वापस भेजने में दिक्कत आ रही है। क्योंकि पाकिस्तानी सरकार करीब 67 कैदियों को पहचानने से ही इनकार कर दिया है। इन कैदियों में कई मछुआरे भी शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा है कि जिन कैदियों की सज़ा पूरी हो गई है, उनके लिए ऐसी व्यवस्था की जाए ताकि वे जेल में ना रहें। इस बारे में जम्मू-कश्मीर पैंथर्स पार्टी के चीफ भीम सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसकी सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ये टिप्पणी की है।

सरकार का कहना है कि पाकिस्तानी नागरिकों की पहचान को लेकर पाकिस्तानी उच्चायोग के सामने कई बार इस मुद्दे को उठाया गया है। लेकिन अभी तक पाकिस्तान की तरफ से नागरिकों को लेकर कोई पुष्टि नहीं की गई है।

बता दें कि इस बारे में भारत और पाकिस्तान के बीच 2008 में समझौता हुआ था, जिसके अंतर्गत कैदियों के आदान-प्रदान का समझौता हुआ था। इसमें सजा पूरी होने के बाद कैदियों को वापस उनके देश पहुंचाने की बात थी।

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि जब हम उनके नागरिकों को वापस भेज रहे हैं और वो उन्हें स्वीकार नहीं कर रहे हैं। तो उसके लिए क्या कदम उठाना चाहिए। जानकारी के मुताबिक कई बार बॉर्डर पार करने और अरब सागर के पास मछुआरों को नियम उल्लंघन के आरोप में गिरफ्तार किया जाता है।