मार्च फाइनल: आखिरी दिनों में 500 करोड़ खर्च

खबरें अभी तक। मार्च फाइनल और बजट खर्च का दबाव। वित्तीय वर्ष 2017-18 के आखिरी महीने में लगातार चार दिन की छुट्टी। इससे बजट उपयोग की रफ्तार कुछ मंद तो पड़ी, लेकिन थमी नहीं। नतीजतन दो-तीन दिनों में ही करीब 500 करोड़ की धनराशि का उपयोग हुआ है। सरकार के लिए राहत की बात ये भी है कि वित्तीय वर्ष में कुल बजट खर्च करीब 36000 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। यानी कुल सालाना बजट का 90 फीसद तक उपयोग करने में सरकार को कामयाबी मिल रही है।

वित्तीय वर्ष 2017-18 के आखिरी माह मार्च में एक बार फिर बजट का बड़ा हिस्सा खर्च हुआ है। बजट खर्च का यह आंकड़ा 2500 करोड़ से ज्यादा होने का अनुमान है। दरअसल, पूरे मार्च माह में ही बजट खर्च को लेकर अधिक सक्रियता रही है। हालांकि, बजटीय व्यवस्था में किए गए सुधारों से सरकार को कुछ राहत भी रही है। राज्य आकस्मिकता निधि से होने वाले बेतहाशा बजट के उपयोग पर कुछ अंकुश लग सका है। कैग वित्तीय वर्ष 2016-17 में बगैर बजटीय प्रावधान और विधानसभा से अनुमोदित कराए बगैर बड़ी धनराशि खर्च करने को अवैधानिक करार दे चुकी है।

सरकार ने वर्ष 2017-18 में 39957.20 करोड़ का सालाना बजट रखा था। इसमें पूंजीगत लेखा व्यय 8406.96 करोड़ और राजस्व लेखा व्यय 31550.83 करोड़ रहने का अनुमान जताया गया था। राजस्व लेखा व्यय के मामले में सरकार बजट प्रावधान के समीप रहने जा रही है। कोषागार के आंकड़े बयां कर रहे हैं कि बीते फरवरी माह तक 33 हजार करोड़ से ज्यादा बजट खर्च का उपयोग हुआ है। वित्त मंत्रालय के सूत्रों की मानें तो सालाना बजट खर्च करीब 36 हजार करोड़ के इर्द-गिर्द रहने जा रहा है। आंकड़ों को अंतिम रूप देने की कसरत चल रही है। केंद्रपोषित और बाह्य सहायतित योजनाओं में खर्च की राशि छह हजार से पार पहुंच रही है। केंद्रपोषित और बाह्य सहायतित योजनाओं की मद में खर्च का आंकड़ा अपेक्षाकृत कम है।