विदेशी किसानों की तर्ज पर हमारे यहां भी होगी ऑटोमैटिक खेती

आने वाले समय में भारत के किसान भी विदेशी किसानों की तर्ज पर हाईटेक खेती करेंगे। इससे न्यूनतम लागत व श्रम से अधिकतम और उच्च गुणवत्ता का उत्पादन लिया जा सकेगा। दरअसल, विदेशों में रोबोटिक्स और ऑटोमैटिक एग्रीकल्चर सहित विभिन्न आधुनिकतम तकनीकों को भारत में भी डेवलप किया जाएगा। ताकि कृषि क्षेत्र के विकास को पंख लगाए जा सकें। इसके लिए हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के विद्यार्थी और शिक्षक विदेशों में ट्रे¨नग लेंगे और विदेशी तकनीक की भारत में संभावना तलाशने का काम करेंगे। इसके लिए आइसीएआर ने व‌र्ल्ड बैंक से संयुक्त रूप से फंडिड करीब 30 करोड़ की एक परियोजना विश्वविद्यालय को सौंपी है। इस परियोजना के तहत कृषि क्षेत्र के विश्वस्तरीय लीडर तैयार करने के विद्यार्थियों व टीचर्स की समग्र ट्रे¨नग के साथ इंडस्ट्री से ¨लक बढ़ाने, व‌र्ल्ड क्लास इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने सहित विभिन्न मुद्दों पर करने पर काम किया जाएगा।

परियोजना के तहत सबसे पहले एचएयू के वर्तमान इंफ्रास्ट्रक्चर को व‌र्ल्ड क्लास बनाया जाएगा। उदाहरण के तौर पर लैब में आधुनिकतम उपकरण होंगे और स्मार्ट क्लास रूम में विद्यार्थी पढ़ाई करेंगे। परियोजना के मुख्य अधिकारी एग्रीकल्चर कालेज के डीन डा. केएस ग्रेवाल ने बताया कि इस परियोजना के तहत कृषि क्षेत्र के विश्वस्तरीय लीडर तैयार करने के अलावा कुशल कृषि विशेषज्ञ तैयार किये जाएंगे। इस परियोजना में उनके साथ एग्रीकल्चरल इंजीनिय¨रग कालेज के डीन डा. आरके झोरड़, डीन, पोस्ट ग्रेजुएट स्टडीज डा. आशा क्वात्रा, सहायक प्राध्यापक डा. मुकेश सैनी एवं डा. सुरेन्द्र यादव शामिल हैं।