27 अप्रैल पर लगी है पूरी दुनिया की नजर, तानाशाह किम के सामने होंगे मून जे

शांति स्‍थापित करने की ओर बढ़ चुके उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच 27 अप्रैल का दिन बेहद खास है। इसी दिन दोनों देशों के राष्‍ट्राध्‍यक्ष कोरियाई युद्ध के बाद तीसरी बार आमने-सामने होंगे। इस अहम बैठक में किम जोंग उन और मून जे के बीच शांति बहाली से लेकर इस पूरे इलाके को गैर परमाणु हथियार मुक्‍त बनाने पर वार्ता होगी। आपको बता दें कि आखिरी बार दोनों देशों के राष्‍ट्राध्‍यक्ष 2007 में मिले थे। किम और मून की यह वार्ता दोनों देशों की सीमा पर मौजूद गांव पानमुंजम स्थित पीस हाउस में होगी। यह देखना काफी दिलचस्‍प होगा कि इस बार यह बैठक कितनी सफल हो पाती है। इस बैठक से पहले 3 अप्रैल को दोनों देशों के आर्टिस्‍ट मिल रहे हैं। इसके अलावा 4 अप्रैल को अधिकारियों की बैठक होनी है जिसमें किम और मून की बैठक से पूर्व प्रोटोकॉल, मीडिया कवरेज, सिक्‍योरिटी से संबंधित मुद्दों पर चर्चा होगी।

पूरी दुनिया की लगी है नजर-

दोनों नेताओं के बीच होने वाली इस अहम वार्ता से पूर्व उत्तर कोरिया के यूनिफिकेशन मिस्टिर चो म्‍योंग ग्‍योन और दक्षिण कोरिया इंटर कोरियन अफेयर के चेयरमैन री सोन ग्‍वोन ने मुलाकात कर थी। इसी बैठक के बाद मून और किम की अहम बैठक के लिए तारीख तय की गई। किम और मून के बीच होने वाली इस बैठक के बाद मई में किम अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप से भी मुलाकात करेंगे। शांति की तरफ बढ़ते कोरियाई देशों के लिए यह दोनों ही बैठक काफी अहम हैं और इन पर सभी की निगाह लगी हुई है। हालांकि इतिहास पर नजर डालें तो दोनों कोरियाई देशों के बीच अब तक हुई बैठकें सफल नहीं रही हैं।

वर्ष 2000 में उत्तर और दक्षिण कोरिया के प्रमुखों की मुलाकात प्‍योंगयांग में हुई थी। उस वक्‍त उत्तर कोरिया पर मौजूदा तानाशाह किम के पिता किम जोंग इन का शासन था। दक्षिण कोरिया की तरफ से वहां के प्रुमख किम डे जंग प्‍योंगयांग पहुंचे थे। दोनों देशों के आजाद राष्‍ट्र बनने के बाद से यह उनकी पहली मुलाकात भी थी। यह मुलाकात काफी अच्‍छे माहौल में हुई थी। इस दौरान यह भी समझौता हुआ कि दक्षिण कोरिया उत्तर कोरिया के केसोंग में फैक्‍ट्री और पार्क स्‍थापित करेगा। लेकिन इस मुलाकात के बाद दक्षिण कोरिया के राष्‍ट्रपति की छवि को गहरा धक्‍का लगा। दरअसल, इस मुलाकात के बाद यह बात सामने आई थी कि मुलाकात से पहले दक्षिण कोरिया ने उत्तर कोरिया को 450 मिलियन डॉलर की राशि दी थी।