डॉक्टरी की पढ़ाई छोड़ आई.पी.एस. बनी आकृति शर्मा

खबरें अभी तक। कुछ दिन पहले हमीरपुर में प्रोबेशनरी प्रकिया के चलते एस.एच.ओ. का पदभार ग्रहण करने वालीं ऊना जिला से संबंधित आई.पी.एस. आकृति शर्मा हमीरपुर के एम्ज पब्लिक स्कूल में मैडीकल की छात्रा रहीं हैं। वह वर्ष 2015 की संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास कर 2016 के आई.पी.एस. बैच में टे्रनिंग कर रही हैं तथा अभी भी उनकी ट्रेनिंग चली हुई है, जिसके चलते वह 13 जनवरी से हिमाचल में अपनी सेवाएं दे रही हैं। हमीरपुर आने से पहले वह शिमला में तैनात थीं। अभी हाल ही में हमीरपुर सदर थाने का काम देख रही हैं।

टांडा मैडीकल कालेज से एम.बी.बी.एस. में रहीं टॉपर 
बताते चलें कि टांडा मैडीकल कालेज से एम.बी.बी.एस. में टॉपर रहीं आकृति शर्मा ने एक साल शिमला आई.जी.एम.सी. में बतौर डाक्टर काम किया है परंतु जब उन्हें उस काम से भी मानसिक रूप से संतुष्टीनहीं मिली तो उन्होंने अपने पिता के नक्शे कदमों पर चलने की ठान ली। बताते चलें कि उनके पिता आर.के. शर्मा डी.आई.जी. सेवानिवृत्त हैं, जिन्हें आकृति शर्मा अपना रोल मॉडल मानती हैं, जिन्होंने किसी जमाने में हमीरपुर में बतौर पुलिस अधीक्षक के पद पर सेवाएं दी हैं। एक साल डाक्टर के पद पर काम करने के पश्चात आकृति शर्मा ने नौकरी छोड़ संघ लोक सेवा आयोग की तैयारी शुरू कर दी।

पति के सहयोग से जारी रखी तैयारी
वर्ष 2013 में इनकी शादी नेवी में कार्यरत डाक्टर से हो गई तथा मुम्बई में अपने पति के पूर्ण सहयोग से उन्होंने अपनी तैयारी जारी रखी। लोक सेवा आयोग की तैयारी के लिए उन्होंने कोई कोङ्क्षचग नहीं ली, घर पर स्वयं अपना टाइम टेबल सैट कर तथा इंटरनैट के माध्यम से उन्होंने 2 साल की कड़ी मेहनत के दौरान वर्ष 2015 में हुई परीक्षा को पास कर 2016 के आई.पी.एस. बैच में अपनी जगह पक्की की। इस बात का पूरा श्रेय वह अपने पति को देती हैं, जिन्होंने उनकी इस टैस्ट तो पास करने में पूरी सहायता की।

बिना कोचिंग की तैयारी
एम.बी.बी.एस. व संघ लोक सेवा आयोग की बिना कोचिंग स्वयं तैयारी करने वाली आकृति शर्मा का कहना है कि सही टाइम टेबल व परीक्षा का सही पाठ्यक्रम फॉलो कर कोई भी टैस्ट पास कर सकता है, बशर्ते कुछ करने का जुनून होना चाहिए।

शहर की समस्याओं को लेकर गंभीर
हमीरपुर की समस्या पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि यहां पर ड्रग्ज के मामले काफी बढ़े हैं। शिक्षण संस्थानों ने पढ़ रहे बच्चे काफी मात्रा में इसका सेवन करने में लीन हैं। मामलों का गहन अध्ययन करने के दौरान पाया गया कि ये वे बच्चे हैं, जिनके पिता घर से दूर हैं या फिर नहीं हैं। हाल ही में पुलिस के पास एक बच्चे का ड्रग का मामला सामने आया तो उसमें पाया गया कि पिता की मृत्यु के बाद मां ही उसका लालन-पालन कर रही है। जब उसकी मां को यह बात पता चली तो उसने बेटे को जेल में डालने की पुलिस से अपील की। इस तरह के मामलों के  बारे में उन्होंने बताया कि बच्चों पर नजर रखना भी अनिवार्य है तथा अभिभावकों को अपने बच्चों के साथ लगातार बातचीत करनी चाहिए और उनकी परेशानियों व आदतों को समझना चाहिए।

स्कूलों में जाकर सैक्स क्राइम बारे करेंगी जागरूक
जब उनसे पूछा गया कि शहर में और क्या सुधार करना चाहेंगी या फिर किस विषय को ध्यान में रखकर काम करेंगी तो उन्होंने बताया कि स्कूली छात्राओं को गुड टच व बैड टच के बारे में जानकारी बहुत कम है, साथ ही सैक्स क्राइम के बारे में भी जानकारी बहुत कम है तथा वे अपने अधिकारों के बारे में ज्यादा जागरूक भी नहीं हैं। महिलाओं व लड़कियों की जागरूकता बढ़ाने के लिए वह आने वाले समय में स्कूलों में जाकर उन्हें जागरूक करेंगी। वहीं शहर में बढ़ रहे ड्रग्ज के मामलों पर पैनी नजर बनाए रखेंगी। हमीरपुर में वह जून माह तक अपनी सेवाएं देंगी।