नगरवासियों ने प्रधान के खिलाफ खोला मोर्चा

खबरें अभी तक।   संतोषगढ़ नगर की प्रधान अमरावती द्वारा नगरवासियों के खिलाफ डी.सी. ऊना और एस.पी. ऊना को शिकायत पत्र देने पर नगर परिषद के नुमाइंदों और नगरवासियों ने प्रधान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। नगर परिषद के नुमाइंदों व नगरवासियों ने कहा कि वे नप की प्रधान अमरावती सहित कांग्रेस पार्टी के नुमाइंदों द्वारा जिला प्रशासन को बिना वजह से नगरवासियों के खिलाफ शिकायत पत्र सौंपने के कार्य की निंदा करते हैं।

प्रधान ने असल मुद्दे से हटकर की बहसबाजी
नगरवासियों का कहना था कि वह 27 मार्च को नगर के बाजार में चौपहिया मालवाहक वाहनों पर लगी रोक के मौजूदा समय और स्थान के हक में नगर परिषद के नुमाइंदों को ज्ञापन सौंपने के लिए गए थे और वहां पर नगर परिषद की प्रधान ने ज्ञापन सुनने के बाद असल मुद्दे से हटकर बाजार में अतिक्रमण को लेकर बहसबाजी शुरू कर दी और ज्ञापन देने आए एक ही व्यक्ति को टारगेट करते हुए प्रधान द्वारा उसके साथ बहसबाजी की गई।

पार्षदों को जबरदस्ती उठाकर ले गए बाहर 
नगरवासियों ने कहा कि बैठक में प्रधान के पारिवारिक सदस्यों सहित कांग्रेस पार्टी समर्थित एक पार्षद के पति ने बैठक में आकर हस्तक्षेप करना शुरू किया और पार्षदों को जबरदस्ती उठने का इशारा करते हुए बैठक से बाहर निकालकर ले जाया गया जबकि नगर परिषद के अधिकारियों ने उन्हें बैठकर लोगों की बात सुनने के लिए भी कहा था, जिस पर बाद में आए उपप्रधान गुरदेव सिंह ने स्थिति को संभाला और उन्होंने नगरवासियों से उनके ज्ञापन को जिला प्रशासन को भेजने की बात कही।

तथ्यों को ध्यान में रखकर हो उचित कार्रवाई
नगरवासियों ने पुलिस में शिकायत दी है कि वह प्रधान द्वारा नगरवासियों के खिलाफ अभद्र व्यवहार करने की झूठी शिकायत पर उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए सभी तथ्यों के आधार को ध्यान में रखते हुए ही उचित कार्रवाई को अमल में लाएं और इसके बारे नगर परिषद के अधिकारियों से भी पूछताछ की जाए क्योंकि बैठक की सारी कार्रवाई उनके सामने ही हुई है।

क्या कहते हैं नप की प्रधान व अधिकारी
नगर परिषद की प्रधान अमरावती ने कहा कि मैंने अपनी शिकायत प्रशासन को सौंप दी है और अगर दोबारा से मुझे इस बारे पूछताछ की जाएगी तो मैं प्रशासन को उचित जवाब दूंगी। वहीं नगर परिषद की कार्यकारी अधिकारी वर्षा चौधरी ने कहा कि बैठक के दौरान लोग ज्ञापन देने के लिए आए थे और दोनों और से किन्हीं बातों को लेकर शोर-शराबा तो हुआ था लेकिन किसी के साथ कोई अभद्र व्यवहार नहीं किया गया।