कै. अमरेंद्र पार्टी के ही विधायकों की बगावत से डरे

खबरें अभी तक। प्रदेश के मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह पार्टी के ही विधायकों की बगावत से डर गए हैं। खेमा टूटने से पहले ही कैप्टन ने बागियों को गले लगाना शुरू कर दिया है। इन्हें जल्द ही किसी न किसी अच्छी पोस्ट पर एडजस्ट करने की कवायद भी शुरू हो गई है। बागी नेताओं को जिस तरह से कैप्टन आजकल गले लगा रहे हैं, उससे कर्मठ नेताओं में भी अब रोष पनपने लगा है। इन विधायकों का कहना है कि शायद कैप्टन सरकार में लॉयलटी की बजाय बगावत को ज्यादा तरजीह दी जा रही है। गौर हो कि पंजाब केसरी ने कुछ दिन पहले इस बात का खुलासा किया था कि कै. अमरेंद्र सिंह की कार्यप्रणाली से पार्टी के अधिकांश विधायक खुश नहीं हैं।

कैप्टन की कार्यप्रणाली से नाखुश विधायक पूर्व प्रदेश प्रधान व सांसद प्रताप सिंह बाजवा के खेमे में जुटने लगे थे। ऐसा लगने लगा था कि जल्द ही अधिकांश विधायक कैप्टन से टूट कर बाजवा खेमे में जा सकते हैं। इसका एक बड़ा कारण यह भी था कि माझा के अधिकांश विधायक अकाली नेता बिक्रमजीत मजीठिया के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग रख रहे थे, मगर कै . लगातार उनकी मांग को नजरअंदाज कर रहे थे। बाजवा खेमे में विधायकों को जुटाने का झंडा सबसे पहले दर्शन सिंह बराड़ ने उठाया था। यही नहीं अमृतसर से विधायक सुनील दत्ती व पठानकोट से रमन बहल ने बाजवा के साथ लंच भी किया था। दूसरे खेमे के बीच पक रही खिचड़ी की भनक कैप्टन के कानों तक भी पहुंच गई थी। रातों-रात बागियों को सरकार में एडजस्ट करने की योजना पर काम किया जाने लगा।

इसमें रमन बहल को पंजाब सुर्बोडिनेट सर्विस सिलैक्शन बोर्ड का चैयरमैन नियुक्त कर कैप्टन पहले ही खेमे को अपनी तरफ करने की शुरूआत कर चुके हैं। हालांकि पार्टी के ही नेता व गुरदासपुर से विधायक बरिंद्रजीत पाहड़ा इसका विरोध भी कर चुके हैं और अपना इस्तीफा तक सौंपने की बात कर चुके हैं। अब बारी है दर्शन बराड़ की। मंगलवार को चंडीगढ़ में हुई प्रैस कांफ्रैंस के दौरान इसकी झलक भी साफ दिखाई दी, जब अकेले दर्शन सिंह बराड़ को ही कैप्टन ने अपने साथ बिठाया। जबकि सभी हलका विधायकों व मंत्रियों को नजरअंदाज किया गया। अब संभावना है कि आने वाले कुछ दिनों में दर्शन सिंह बराड़ को भी किसी अच्छी पोस्ट पर एडजस्ट किया जा सकता है।