फेसबुक डाटा लीक मामला में मोदी सरकार सख्‍त, फेसबुक से मांगी जानकारी

 

फेसबुक डाटा लीक मामले में मोदी सरकार का रुख काफी कड़ा नजर आ रहा है। संचार एवं सूचना प्रौद्यौगिकी मंत्रालय ने फेसबुक से डाटा लीक मामले में जानकारी मांगी है। मंत्रालय ने फेसबुक से कुछ सवाल पूछे हैं, जिनका जवाब देने के लिए मार्क जुकरबर्ग को 7 अप्रैल तक का समय दिया गया है। केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद इससे पहले कैंब्रिज एनालिटिका को भी एक नोटिस जारी कर चुके हैं।

फेसबुक के खिलाफ उठाए गए इस कदम के तहत संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने फेसबुक से कथित डाटा लीक के बारे में विस्‍तार से जानकारी मांगी है। सरकार ने फेसबुक से पूछा कि क्या भारतीय मतदाताओं और उपयोगकर्ताओं का व्यक्तिगत डाटा कैंब्रिज एनालिटिका या किसी अन्य कंपनी के साथ साझा की गई है? भारतीय चुनाव प्रक्रिया में संभावित हस्तक्षेप या हेरफेर के लिए व्यक्तिगत डाटा का दुरुपयोग रोकने के लिए फेसबुक की ओर से क्‍या कदम उठाए गए हैं? क्‍या भारतीय चुनाव को प्रभावित करने के लिए कभी फेसबुक के डाटा का इस्‍तेमाल किया गया? ऐसे ही कई और सवाल भी संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने फेसबुक से पूछे हैं, जिनका जवाब 7 अप्रैल तक देना है।

23 मार्च को फेसबुक डाटा लीक मामले में सरकार ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए ब्रिटेन की कैंब्रिज एनालिटिका को नोटिस जारी किया था। सरकार ने कंपनी से जानना चाहा है कि क्या उसने फेसबुक पर मौजूद भारतीयों की जानकारी का इस्तेमाल भी किया है? नोटिस में सरकार ने छह सवाल पूछे हैं। कैंब्रिज एनालिटिका को जवाब देने के लिए 31 मार्च 2018 तक का समय दिया गया है। सरकार ने जानना चाहा है कि उसे फेसबुक के डाटा के इस्तेमाल के लिए जिस उल्लंघन का दोषी पाया गया है उसमें क्या भारतीयों की जानकारी के इस्तेमाल के लिए भी उन्हें काम सौंपा गया था? सरकार ने नोटिस के जरिए यह भी पूछा है कि कैंब्रिज एनालिटिका को इस काम के लिए किसने अनुबंधित किया था? इसी क्रम में कंपनी को यह भी बताने के लिए कहा गया है कि उन्हें यह डाटा किस प्रकार प्राप्त हुआ? क्या इसके लिए कंपनी ने लोगों से उनकी जानकारी के इस्तेमाल के लिए मंजूरी प्राप्त की?

बता दें कि ब्रिटेन की कैम्बि्रज एनालिटिका नाम की कंपनी है जिसे सूचनाओं के आधार पर आकलन करने के क्षेत्र में दुनिया की बेहतरीन कंपनियों में माना जाता है। फेसबुक यूजर्स के डाटा चोरी के इस खुलासे के बाद अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ के तमाम देशों में हड़कंप मच गया है। यह पहला मामला है जिसमें सोशल साइट्स के ग्राहकों की जानकारी के आकलन के आधार पर राजनीतिक फायदा उठाने की बात सामने आई है।