शौचालय का उपयोग करने में अब पीछे नहीं रहे ग्रामीण, बदल रही हैं आदत

स्वच्छ भारत मिशन के लिए ग्रामीण स्वच्छता सर्वेक्षण की रिपोर्ट शुभ संकेत है। जिन घरों में शौचालय उपलब्ध है वहां ज्यादातर लोगों ने उसका उपयोग किया है। यानी गांव वाले शौचालयों का उपयोग करने में पीछे नहीं हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की आदत में तेजी से बदलाव देखा जा रहा है। खुले में शौच मुक्त घोषित गांवों का सत्यापन भी किया गया, जिसमें 95.6 फीसद गांव सही पाए गए। सर्वेक्षण रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों के 77 फीसद घरों में शौचालय की सुविधा पाई गई।

केंद्रीय स्वच्छता व पेयजल मंत्रालय ने ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता का सर्वेक्षण कराया गया। यह अभियान नवंबर 2017 से मार्च 2018 के बीच चलाया गया। इस दौरान कुल 6136 गांवों के लगभग 92 हजार घरों का स्वच्छता संबंधित विषयों पर सर्वेक्षण किया गया। सर्वेक्षण में गांवों के स्कूल, आंगनवाड़ी और सामुदायिक शौचालयों को भी शामिल किया गया। व्यक्तिगत शौचालय वाले घरों में 93.4 फीसद लोग उपयोग करते पाए गए।

सर्वेक्षण के दौरान 70 फीसद गांवों में ठोस व तरल कूड़ा व्यवस्थित पाया गया। सर्वेक्षण की रिपोर्ट को एक्सपर्ट वर्किंग ग्रुप में रखा गया। इस ग्रुप में विश्व बैंक, यूनिसेफ, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, इंडिया सैनिटेशन कोएलिएशन, सुलभ इंटरनेशनल, नॉलेज लिंक्स समेत नीति आयोग व सांख्यिकी और कार्यक्रम संचालन मंत्रालय इसके सदस्य हैं। ग्रुप ने रिपोर्ट पर संतोष जाहिर किया है और उम्मीद जताई है कि इससे स्वच्छ भारत का अभियान तेज गति से आगे बढ़ेगा।

सर्वेक्षण रिपोर्ट में ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों में व्यवहार परिवर्तन करने में सफलता मिली है। मिशन के तहत लोगों ने खुद आगे बढ़कर शौचालय बनाए हैं। अब तक कुल साढ़े छह करोड़ शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है।