मंत्रियों की योजनाएं हुई बौनी साबित

खबरें अभी तक।  हरियाणा की खट्टर सरकार में ‘सी.एम. अनाउंसमेंट ’ के आगे मंत्रियों की योजनाएं बौनी साबित हो रही हैं। कुछ ऐसा ही वाक्या प्रदेश के खेल मंत्री अनिल विज के खेल महकमे की एक योजना में हुआ है। विज की ओर से तैयार की गई योजना पर वित्त विभाग ने ब्रेक लगा दी। सूत्रों की मानें तो वित्त विभाग की ओर से यह कहा गया कि सिर्फ सी.एम. अनाउंसमेंट  की योजनाओं के लिए ही बजट मिल सकता है। मसलन वित्त महकमे से खेल मंत्री के योजना की फाइल वापस हो गई।

चर्चा है कि मंत्रियों के साथ हो रहे इस तरह के वाक्ये के कारण ही कई मंत्री सरकार की कार्यशैली से खुश नहीं हैं। हरियाणा में जिला स्तर पर खेल गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए खेल मंत्री अनिल विज ने हर जिले में मल्टीपर्पज हॉल और सिंथेटिक ट्रैक बनाने के लिए एक योजना तैयार की थी। इस योजना के लिए हर जिले में करीब 20 से 25 करोड़ रुपए के खर्च का अनुमान लगाया गया था। योजना को सिरे चढ़ाने के लिए खेल मंत्री की ओर से मुख्यमंत्री कार्यालय को फाइल भेजी गई, जिस पर मुख्यमंत्री की स्वीकृति भी मिल गई लेकिन इस फाइल पर वित्त विभाग ने अड़ंगा लगा दिया।

सूत्रों की मानें तो वित्त विभाग की ओर से कहा गया कि इनमें से कई जिलों के लिए पहले से ही सी.एम. अनाउंसमेंट के तहत घोषणा की जा चुकी है। ऐसे में सबसे पहले सी.एम. अनाऊंसमैंट की योजनाओं को ही बजट दिया जा सकता है। वित्त विभाग का अपना तर्क भले ही ठीक हो लेकिन खेल मंत्री अनिल विज इस अड़ंगे से आहत हैं। विज का कहना है कि मंत्रियों की योजनाएं भी बेहतर होती हैं और सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।

दोबारा से फाइल भेजने की तैयारी
खेल मंत्री अनिल विज अपनी योजना को सिरे चढ़ाने के लिए दोबारा से प्रयास में जुट गए हैं। बताया गया कि अब नए सिरे से फाइल भेजने की तैयारी की जा रही है। विज की ओर से वित्त विभाग के अड़ंगे की जानकारी मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को दी जा चुकी है। मुख्यमंत्री ने विज को आश्वस्त भी किया है कि यह योजना प्रदेश के हित में है और इसे जल्द सिरे चढ़ाया जाएगा।

सी.एम. अनाउंसमेंट पर अफसरों का खास फोकस
मुख्यमंत्री के निर्देशों पर हरियाणा की अफसरशाही भी सी.एम. अनाउंसमेंट को लेकर पूरी तरह से गंभीर है। सी.एम. अनाउंसमेंट की लंबित योजनाओं को किस तरह से शुरू किया जाए? इस पर जिलों से लेकर प्रदेश स्तर के अफसरों की टीम जुटी हुई है। कारण साफ है कि हर महीने मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से सी.एम. अनाउंसमेंट का फीडबैक लिया जा रहा है। खुद मुख्यमंत्री भी समय-समय पर लंबित योजनाओं की समीक्षा करते हैं। लिहाजा वित्त विभाग के अफसर भी सी.एम. अनाउंसमेंट को ही तवज्जो दे रहे हैं।