इस महिला को PM की पेटिंग बनाने पर मिली थी सजा, उपराष्ट्रपति का स्केच बनाकर मिली वाहवाही

बिहार में एक तरफ सीएम नीतीश कुमार शराबबंदी, दहेज पर रोक जैसी योजनाओं से महिला सशक्तिकरण को आगे बढ़ाने की बात करते हैं. वहीं उनके राज्य में सरकारी विभाग के अधिकारी महिला अफसरों के हुनर पर पाबंदियां लगाने की कोश‍िश कर रहे हैं. ऐसा ही एक मामला बिहार दिवस पर भी देखने को मिला.

इस कार्यक्रम में बिहार शिक्षा परियोजना में अधिकारी नमिता भारद्वाज के हुनर को उपराष्ट्रपति द्वारा सराहा गया. हालांकि नमिता भारद्वाज को अपने इसी हुनर की वजह से चार महीने तक वेतन नहीं मिलने की सजा मिली थी. सजा का कारण यह था कि उनके विभाग के अफसरों को उनका यह हुनर फूटी आंख नहीं सुहाता था.

मिली वाहवाही

सफलता केवल अग्रिम पंक्ति में बैठे लोगों को ही मिलती है, इस बात को झूठा साबित किया उस कलाकार ने जिसने पिछली पंक्ति की सबसे पिछली सीट पर बैठकर उपराष्ट्रपति का स्केच बनाया. पटना में बिहार दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति एम वैकेंया नायडू पहुंचे थे. जितनी देर में उन्होंने उद्घाटन भाषण दिया, उतनी देर में एक महिला कलाकार नमिता भारद्वाज ने उनका स्केच बना दिया. पटना के गांधी मैदान में यह स्केच बनाने वाली महिला नमिता भारद्वाज बिहार शिक्षा परियोजना में अधिकारी हैं.

पटना के गांधी मैदान में अपने भाषण के दौरान उपराष्ट्रपति ने कहा कि समाज के अंतिम पक्ति में बैठी महिलाओं का भी सशक्तिकरण होना चाहिए. यह सुनकर नमिता अपने आप को रोक नहीं पाई और अपनी जगह से ही उपराष्ट्रपति को उनका स्केच दिखाया. फिर उपराष्ट्रपति ने इशारे से उन्हें बुलाया और स्केच को काफी पसंद भी किया. साथ ही नमिता की वाहवाही भी की. आपको बता दें कि नमिता ने अपनी इस हुनर की कोई विधिवत शिक्षा नहीं ली है. नमिता ने कहा कि इंसान का हुनर जीवन के किसी भी मोड़ पर सफलता की इबारत लिख सकता है.

विभाग ने कभी नहीं सराहा, PM की पेंटिंग बनाने पर मिली सजा

आरोप है कि जिस हुनर की तारीफ खुद महामहिम उपराष्ट्रपति ने की, उसी को उनके कार्यरत विभागीय पदाधिकारियों ने कभी सराहा भी नहीं. वहीं वेतन विसंगति से लेकर मात्र 3% की वेतन वृद्धि से भी वंचित रखा. आपको बता दें कि जनवरी 2017 में पटना में हुए गुरू गोविन्द सिंह महाराज की 350वें प्रकाश पर्व पर भी नमिता ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की गुरु गोविंद सिंह के साथ पेंटिंग बनाई थी.

नमिता ने उसे पेश करना चाहा तो विभाग के अधिकारी ने उन्हें रोका. मुख्यमंत्री ने उनके काम की सराहना की, लेकिन पेंटिंग बनाने के दंडस्वरूप विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने 6 दिनों तक 10 बजे सुबह से शाम 6 बजे तक उनके केबिन के बाहर खड़े रहने का दंड दिया था. चार महीने तक वेतन नहीं दिया. परिवार को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. साथ ही विभागीय महत्वपूर्ण कार्यों से विमुख रखा गया.

आरोप है कि यह बात कई अधिकारियों को पता थी, लेकिन सब चुप रहे. वहीं उनकी ओर से दावा महिला सशक्तिकरण का किया जाता है. नमिता के इस सजा के पीछे उस दौरान पीएम मोदी और नीतीश कुमार के अलगाव की बात भी कही जा रही है. अब नीतीश और पीएम मोदी तो एक हो गए, लेकिन नमिता भारद्वाज अभी भी विभागीय विसंगतियों की शिकार बनी हुई हैं. नमिता का कहना है कि असहनीय पीड़ा के इस दौर में महामहिम उपराष्ट्रपति से मिलने की सफलता ने उन्हें मरहम और साहस दिया है.