मोदी सरकार की ‘उड़ान’ योजना को पंख पसारने से रोक रहीं ये बाधाएं…!

छोटे विमानों और उनसे जुड़े पायलटों की कमी ‘उड़ान’ की उड़ानों में बाधक बन गई है। इसके अलावा छोटे शहरों में एयरपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर की नाजुक हालत और पूरक उड़ानों का अभाव भी रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम को पंख पसारने से रोक रहा है।

छोटे व मझोले शहरों को विमान सेवाओं से जोड़ने तथा क्षेत्रीय स्तर पर उड़ान सुविधाओं के विस्तार के लिए सरकार ने पिछले वर्ष ‘उड़े देश का आम नागरिक’ अर्थात ‘उड़ान’ अथवा रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम की शुरुआत की थी। इसके तहत लोगों को 2500 रुपये प्रति घंटे के किराये पर विमान या हेलीकाप्टर की यात्रा करने का मौका उपलब्ध कराया गया है। लेकिन बुनियादी दिक्कतें स्कीम को आगे नहीं बढ़ने दे रही हैं।

सरकार ने पिछले वर्ष मार्च में पहले चक्र के साथ उड़ान की औपचारिक शुरुआत की थी। इसके तहत पांच एयरलाइनों को 128 रूटों पर सस्ती विमान सेवाएं शुरू करने की इजाजत दी गई थी। लेकिन अभी तक केवल 27 रूटों के एग्रीमेंट हुए हैं। इनमें एयरलाइन अलाइड को 8, स्पाइसजेट को 6, एयर ओडिशा को 5 तथा डेक्कन चार्टर्स और टर्बो मेघा को 4-4 रूट दिए गए हैं। परंतु केवल एयरलाइन अलाइड, टर्बो मेधा और स्पाइसजेट निर्धारित छह महीने के भीतर सेवाएं शुरू कर सकी हैं। जबकि डेक्कन चार्टर्स (एयर डेक्कन ब्रांड) की उड़ाने 23 दिसंबर को और एयर ओडिशा की 17 फरवरी’18 को प्रारंभ हो सकीं।

जनवरी में घोषित दूसरे चक्र में सरकार ने 15 एयरलाइनों को 325 और रूट आवंटित कर दिए हैं। मगर अब तक केवल 11 एयरलाइनों ने एयरपोर्ट अथारिटी के साथ मकिए हैं। इनमें भी एयरलाइन अलाइड को छोड़ किसी एयरलाइन की सेवा शुरू नहीं हुई है।