एयर इंडिया विनिवेश की प्रक्रिया अगले 15 दिनों में होगी शुरू

एयर इंडिया के विनिवेश की गाड़ी जल्द ही आगे बढ़ने की संभावना है। अगले पंद्रह दिनों में सरकार संभावित खरीदारों से निविदाएं आमंत्रित कर सकती है। एयर इंडिया को खरीदने के लिए केवल गंभीर कंपनियां आगे आएं, इसके लिए सरकार ने न्यूनतम नेटवर्थ की सीमा को 1000 करोड़ से बढ़ाकर 5000 करोड़ रुपये कर दिया है।

सूत्रों के अनुसार एयर इंडिया के विनिवेश के लिए गठित मंत्रिसमूह की दो दिन पहले हुई बैठक में 15 दिनों के भीतर निविदाएं आमंत्रित करने के बारे में सहमति बन गई है। हालांकि अभी तारीख का फैसला नहीं हुआ है। पहले चरण में मूल एयर इंडिया के साथ इसके पूर्ण स्वामित्व वाली एयर इंडिया चार्टर और किफायती सर्विस कैरियर एयर इंडिया एक्सप्रेस जैसी इकाइयों को बिक्री के लिए पेश किया जाएगा। जबकि बाद के चरणों में एयर इंडिया ट्रांसपोर्ट सर्विसेज, होटल कॉरपोरेशन तथा एयर इंडिया एलाइड सर्विसेज का नंबर आएगा। प्रत्येक के लिए अलग से एक्सप्रेशन आफ इंट्रेस्ट बिड आमंत्रित की जाएंगी। इस विधि से सरकार को बेहतर रकम प्राप्त होने की संभावना है।

विमानन क्षेत्र से जुड़े वित्तीय सलाहकारों के अनुसार सरकार को एयर इंडिया के विनिवेश से 70 हजार करोड़ रुपये तक की रकम प्राप्त हो सकती है। एयर इंडिया पर 50 हजार करोड़ रुपये के भारी कर्ज को देखते हुए इस रकम को कम नहीं माना जा रहा।

सूत्रों के अनुसार जीओएम की है कि विनिवेश के बाद सरकार को एयर इंडिया में 24 फीसद से ज्यादा इक्विटी नहीं रखनी चाहिए। एयर इंडिया खरीदने की इच्छुक ज्यादातर एयरलाइनों ने सरकार को 26 फीसद से कम इक्विटी रखने की दी है। उन्हें आशंका है कि इससे ज्यादा इक्विटी की स्थिति में एयर इंडिया के प्रबंधकीय निर्णयों में सरकार का कुछ न कुछ दखल जारी रह सकता है।

अभी तक जिन देसी-विदेशी कंपनियों व एयरलाइनों ने एयर इंडिया को खरीदने में रुचि दिखाई है, उनमें टाटा समूह के अलावा इंडिगो की पैरेंट कंपनी इंटरग्लोब एविएशन का नाम प्रमुख हैं। सरकार ने पिछले साल जून में कैबिनेट फैसले के जरिये एयर इंडिया के रणनीतिक विनिवेश का सैद्धांतिक निर्णय लिया था। इसके बाद इसकी प्रक्रिया तय करने के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में जीओएम का गठन किया गया था। जीओएम ने विनिवेश प्रक्रिया को इसी साल पूरा करने का लक्ष्य रखा है।