जज्बा हो तो हर राह आसान,इस बात को सच कर दिखाया पारस अग्रवाल ने

खबरें अभी तक।  कहते हैं कि कुछ करने का जज्बा हो तो हर राह आसान हो जाती है। बस इरादों में दम होना चाहिए फिर आपकी कमजोरी भी आपकी ताकत बन जाती है। आपके हौंसलों के आगे हर मुश्किल राह आसान हो जाती है। ऐसा ही कुछ पारस अग्रवाल ने किया है। पारस अग्रवाल सरकारी नौकरी मिलने के बाद भी अपना लक्ष्य नहीं भूले और उन्होंने एचएएस में टॉप किया।

धर्मशाला के पारस अग्रवाल को खुद की मेहनत पर पूरा भरोसा था कि वह एक दिन सफलता के मुकाम तक पहुंचेंगे। मीडिया से बातचीत में पारस अग्रवाल ने कहा कि जब वह एलएलबी करने के बाद धर्मशाला कोर्ट में प्रेटिक्स कर रहे थे तो उन्हें प्रशासनिक सेवा में जाने का जनून सवार हुआ और उन्होंने इसकी तैयारी शुरू कर दी।

इसके लिए उन्होंने कहीं भी कोचिंग नहीं ली, बल्कि अपनी मेहनत पर भरोसा जताते हुए परीक्षा की तैयारी के लिए पूरा समय दिया। पारस अग्रवाल के पिता आरके अग्रवाल धर्मशाला के कोतवाली बाजार में इलेक्ट्रानिक्स समान की दुकान करते हैं। जबकि माता अरुणा अग्रवाल गृहणी है। इसके अलावा पारस की एक बड़ी बहन धारा अग्रवाल है, जिनकी शादी हो चुकी है।

मेडिकल में 12वीं तक की पढ़ाई की
पारस बताते हैं कि उनकी प्रारंभिक पढ़ाई शिशु निकेतन स्कूल चंडीगढ़ में हुई। इसके बाद वह आधुनिक पब्लिक स्कूल धर्मशाला में दसवीं तक पढ़े। इसके बाद उन्होंने आर्मी स्कूल योल कैंट से मेडिकल में 12वीं तक की पढ़ाई की। वकालत में जाने का शौक रखने के कारण पारस ने चौड़ा मैदान शिमला स्थित कॉलेज से एलएलबी की 5 साल की डिग्री हासिल की। पारस 2010 से 2014 तक धर्मशाला कोर्ट में एक अधिवक्ता के रूप में प्रेक्टिस करते रहे।

इसके बाद एलाइड सर्विस परीक्षा के माध्यम से उनकी सहायक पंजीयक के रूप में सहकारिता विभाग धर्मशाला में नियुक्ति हुई, जहां वह अभी भी कार्यरत हैं। इसी दौरान उन्होंने एचएएस की परीक्षा दी तथा उसके बाद साक्षात्कार के बाद घोषित परिणाम में पहला स्थान हासिल किया। उन्होंने कहा कि परीक्षा की तैयारी के लिए समाचारपत्र को ढंग से पढ़ने को भी अपनी दिनचर्या में शामिल किया जाना चाहिए।