केंद्र से तेज भाग रहा था अखिलेश का यूपी, योगी के लिए खड़ी हुई बड़ी चुनौती

एक साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दावा किया कि यदि राज्य में भी उसी पार्टी की सरकार बने जिसकी केंद्र में सत्ता हो तो राज्य का तेज आर्थिक विकास किया जा सकता है. मोदी के इस दावे पर उत्तर प्रदेश की जनता ने भरपूर यकीन किया और 2017 के विधानसभा चुनावों में प्रदेश में बीजेपी को पूर्ण बहुमत दिया.

इसके बाद उम्मीद लगाई गई कि उत्तर प्रदेश में आर्थिक ग्रोथ की रफ्तार में बड़ा इजाफा देखने को मिलगा. अब सीएम योगी के सामने चुनौती है कि वो पीएम की इस बात को साबित करें और यूपी की विकास की रफ्तार को तेज करें. यहां ये बताना जरूरी है कि अखिलेश यादव के कार्यकाल के आखिरी साल में भी यूपी के विकास की रफ्तार केंद्र के विकास की रफ्तार से ज्यादा थी.

वित्त वर्ष 2016-17 में उत्तर प्रदेश की आर्थिक विकास दर देश की आर्थिक विकास दर से अधिक रही. यह ग्रोथ प्रदेश में समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार के आखिरी वर्ष में दर्ज हुई थी. यह दावा खुद मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में किया. गौरतलब है कि विधानसभा में कांग्रेस नेता आराधना मिश्र ने योगी सरकार से सवाल किया था, ‘क्या यह सही है कि प्रदेश की विकास दर राष्ट्रीय विकास दर से कम है ? यदि हाँ, तो सरकार द्वारा इसे बढ़ाने की कोई कार्ययोजना है?’

इस सवाल के जवाब में बतौर राज्य के औद्योगिक विकास मंत्री मुख्यमंत्री योगी ने बताया, ‘आधार वर्ष 2011-12 पर तैयार राज्यज आय के वर्ष 2016-17 के त्वमरित अनुमान के अनुसार वर्ष 2016-17 में स्था यी भावों पर प्रदेश की विकास दर 7.2 प्रतिशत रही तथा केन्द्री य सांख्यिकीय कार्यालय, भारत सरकार, नई दिल्ली  द्वारा जारी वर्ष 2016-17 के प्रथम संशोधित अनुमान के अनुसार वर्ष 2016-17 में राष्ट्री य विकास दर 7.1 प्रतिशत है.’

सीएम के जवाब से साफ है कि योगी सरकार के आने से पहले ही यूपी केंद्र की तुलना में ज्यादा तेजी से विकास कर रहा था. ये हाल तब था जब केंद्र में मोदी की सरकार थी और राज्य में अखिलेश यादव की.

लिहाजा, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के दावों को एक साथ देखें तो वित्त वर्ष 2017-18 और 2018-19 में राज्य की आर्थिक ग्रोथ में बड़ा इजाफा देखने को मिलेगा क्योंकि राज्य को 2019 तक केन्द्र सरकार से वह फायदा मिलता रहेगा जिसका दावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था. हालांकि बीते एक साल के दौरान केन्द्र सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था में आर्थिक सुधार के अहम फैसले लिए हैं जिसके चलते बीते एक साल के दौरान देश की अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ने के साथ-साथ राज्यों की अर्थव्यवस्था को भी दबाव झेलना पड़ा है.