अफसरों ने 4 हजार एकड़ गोचर भूमि पर कब्जा किया

 खबरें अभी तक।  पंजाब में सियासतदानों और अफसरों ने 4 हजार एकड़ गोचर भूमि पर कब्जा किया हुआ है। यदि यह कब्जा छुड़ा लिया जाए तो शहरों में खुले में घूम रही गऊओं के लिए व्यवस्था की जा सकती है। इस बात का खुलासा स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने चंडीगढ़ में पंजाब केसरी के साथ विशेष बातचीत में किया। सिद्धू ने कहा कि इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने एक कमेटी का गठन किया है।

इस कमेटी में तृप्त राजिन्द्र सिंह बाजवा और मनप्रीत सिंह बादल भी शामिल हैं। यह कमेटी एक महीने में सरकार को अपनी रिपोर्ट देगी और इस भूमि पर कब्जा करने वाले लोगों के नामों का भी खुलासा किया जाएगा।

सिद्धू ने दावा किया कि 70 प्रतिशत तक कब्जाधारी एक ही राजनीतिक दल के हैं। अकाली दल पर निशाना साधते हुए सिद्धू ने कहा कि इस पार्टी के लोगों की नीयत भी काली है और ये आज विधानसभा में कपड़े भी काले पहन कर आए हैं। इनके काले कारनामों का खुलासा कमेटी एक महीने में करेगी। जिन लोगों ने जमीन पर कब्जा किया है उनके मालिकों के नाम कब्जाई गई जमीन के खसरा नं. के साथ सार्वजनिक किए जाएंगे।

सिद्धू ने कहा कि पुराने समय में हर जिले में यह भूमि गऊओं के संरक्षण के लिए रखी गई थी लेकिन धीरे-धीरे इन जमीनों पर कब्जा हो गया और अकाली-भाजपा सरकार के 10 साल के राज के दौरान इन कब्जों में ज्यादा वृद्धि हुई और इसी सरकार के समय इन कब्जों का जायजा लेने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप भी दी थी लेकिन सरकार ने इस पर एक्शन नहीं लिया। कब्जाई गई कुल भूमि 3912 एकड़ है जिसमें से सबसे ज्यादा भूमि रोपड़ जिले में है।

सिद्धू ने कहा कि पिछली अकाली-भाजपा सरकार ने इंदिरा आवास योजना के तहत गरीबों को मकान बनाकर देने की योजना में भी धांधली की है। केंद्र सरकार ने इस मकसद से 74 करोड़ रुपए भेजे थे लेकिन एक भी रुपया खर्च नहीं किया गया। अब केंद्र सरकार इस रकम का यूटिलाइजेशन सर्टीफिकेट मांग रही है। अब फंड का इस्तेमाल ही नहीं हुआ तो यूटिलाइजेशन सर्टीफिकेट कहां से आएगा? सिद्धू ने कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने राज्य में डेढ़ लाख गरीब लोगों को मकान देने का वायदा किया है और इस मकसद से 11 करोड़ रुपए की राशि भी जारी की गई है।

श्री दरबार साहिब में वितरित किए जाने वाले लंगर पर जी.एस.टी. हटाए जाने के मुद्दे पर नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि अमृतसर में दुग्र्याणा मंदिर के लंगर पर भी राज्य सरकार जी.एस.टी. हटाएगी और इसके अलावा एक ईसाई धार्मिक स्थान और एक मुस्लिम धार्मिक स्थान का भी चयन किया जाएगा जहां पर वितरित होने वाले लंगर से जी.एस.टी. नहीं वसूल किया जाएगा।

पूर्व अकाली मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया द्वारा नवजोत सिंह सिद्धू पर एस.टी.एफ. की रिपोर्ट लीक करने के लगाए गए आरोप के जवाब में सिद्धू ने कहा कि मजीठिया को पता होना चाहिए कि एस.टी.एफ. की रिपोर्ट और ई.डी. की रिपोर्ट में अंतर है। ई.डी. की रिपोर्ट सीलबंद की गई है जबकि एस.टी.एफ. की रिपोर्ट सीलबंद नहीं है। मजीठिया इस मामले पर गलत बयानबाजी कर रहे हैं और इस बयानबाजी का कोई असर नहीं होगा।

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेतली के साथ नवजोत सिंह सिद्धू के संबंधों को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में सिद्धू ने कहा कि वित्त मंत्री अरुण जेतली नियमों के हिसाब से काम कर रहे हैं। मैं उन्हें डिटेल प्रोजैक्ट रिपोर्ट (डी.पी.आर.) बनाकर भेज रहा हूं और इसी के तहत वह मुझे विकास कार्यों के लिए फंड का आश्वासन दे रहे हैं। इसमें मेरे और उनके निजी संबंधों का कोई लेना-देना नहीं है।