लिंगायत समुदाय को अलग धर्म की मान्यता देने को लेकर कांग्रेस में उभरे मतभेद

खबरें अभी तक। कर्नाटक में सिद्धारमैया सरकार द्वारा लिंगायत समुदाय को अलग धर्म की मान्यता देने का फैसला विवादों में घिरने लगा है. राज्य के वीरशैव और लिंगायतों की मुख्य सामाजिक और धार्मिक संस्था वीरशैवई लिंगायत महासभा ने राज्य सरकार के फैसले पर सवाल उठाया है. महासभा का कहना है कि सिद्धारमैया सरकार के इस फैसले से समाज में अलगाव बढ़ेगा.

यही नहीं राज्य की कांग्रेस पार्टी में भी मतभेद उभरकर सामने आए हैं. वरिष्ठ कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री शमनुरू शिवशंकरप्पा ने इस मुद्दे पर पार्टी से अलग राग अलापा है. कांग्रेस नेता ने कहा कि कर्नाटक सरकार ने वीरशैवई समुदाय के साथ अन्याय किया है. उन्होंने कहा कि अब मुझे इस सरकार की गुप्त चाल समझ आ रही है.

शमनुरू शिवशंकरप्पा ने कहा कि इस रिपोर्ट से पता चलता है कि सरकार ने हमारे हेरिटेज को कम करके आंका है. वीरशैव महासभा ने 23 मार्च को इस मुद्दे पर बैठक बुलाई है. शिवशंकरप्पा ने कहा, ‘सरकार ने हमारे साथ अन्याय किया है. वीरशैव और लिंगायत एक ही धर्म हैं. मंगलवार को लिए गए कैबिनेट के फैसले का मैं समर्थन नहीं करता हूं.’

बता दें कि लिंगायत और वीरशैव समुदाय के लोग शिव की उपासना करते हैं. लेकिन दोनों समुदाय के कुछ लोगों का मानना है कि उनका धर्म अलग है. लिंगायत समुदाय के लोग 12वीं सदी के कवि और समाज सुधारक बसावन्ना या बसावा को मानते हैं. बसावा ने हिंदू धर्म की जाति व्यवस्था और वैदिक परंपराओं को खारिज कर दिया था.

 ये ध्यान रखने वाली बात है कि लिंगायत समुदाय के लोग राज्य की जनसंख्या के 17 फीसदी हैं. माना जाता है कि ये समुदाय बीजेपी के प्रति रूझान रखता है. राज्य में लिंगायत के सबसे बड़े नेता बीएस येदियुरप्पा हैं, जोकि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. आगामी विधानसभा चुनावों में येदियुरप्पा बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं.

येदियुरप्पा ने मंगलवार की सुबह अपने आवास पर इस मामले पर बैठक की. बैठक में उनके अलावा बीजेपी के साथ संघ के नेता संतोष भी उपस्थित थे. मीटिंग के बाद येदियुरप्पा ने कहा, ‘शुरू से ही हम कहते रहे हैं कि अखिल भारत वीरशैव महासभा को अंतिम निर्णय लेने दिया जाए. सिद्धारमैया ने एक फैसला लिया है. मसले पर महासभा के भीतर विस्तृत बहस होनी चाहिए. समुदाय की भलाई के लिए महासभा को फैसला लेने दो, इसके बाद हम प्रतिक्रिया देंगे.’

सिद्धारमैया सरकार का ये फैसला राज्य विधानसभा चुनाव से ठीक दो महीने पहले आया है. बीजेपी का आरोप है कि कांग्रेस सरकार का ये फैसला राजनीतिक रूप से प्रेरित है.