प्रधानमंत्री कार्यालय करवा सकता है वैट रिफंड व GST घोटाले की CBI जांच

खबरें अभी तक।  पंजाब में अरबों रुपए के हुए वैट रिफंड घोटाले और अब जी.एस.टी. के हो रहे जाली बिलों के खेल की जांच करवाने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय (पी.एम.ओ.) हरकत में आ गया है। पी.एम.ओ. ने फैडरेशन ऑफ  पंजाब स्माल स्केल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की सी.बी.आई. मांग को रैवेन्यू डिपार्टमैंट के सैक्रेटरी को भेज दिया है।

उधर, सैक्रेटरी ने फोपसिया के प्रधान बदीश जिंदल से वैट रिफंड घोटाले और जी.एस.टी. में हो रहे जाली बिलों के खेल से संबंधित विस्तार से रिपोर्ट मांगी है। जिंदल ने सैक्रेटरी रैवेन्यू से रिपोर्ट भेजने के लिए 10 दिनों का समय मांगा है।
जिंदल ने बताया कि उन्होंने पी.एम.ओ. को कुछ सबूतों सहित पत्र भेजा है।

इसमें स्पष्ट लिखा गया है कि पंजाब के आबकारी एवं कराधान विभाग ने किस तरह वैट रिफंड घोटाले में सही काम करने वाले कारोबारियों को परेशान किया और किस तरह अधिकारियों ने जाली रिफंड लेने वाले गिरोह का साथ देते हुए खुद करोड़ों रुपए कमाए हैं।

इसकी सी.बी.आई. जांच हो तो सारे खुलासे हो जाएंगे। पत्र में यह भी लिखा है कि पंजाब सरकार सी.बी.आई. जांच करवाने में दिलचस्पी नहीं रखती है। वजह, राजनीतिक शरण वाले अफसरों के पकड़े जाने पर नेताओं के नाम सामने आ सकते हैं। पत्र में यह भी कहा गया है कि जिन अफसरों पर वैट रिफंड घोटाले करने के आरोप लगे हैं, अब सरकार ने उन्हीं अफसरों को जी.एस.टी. में भी लगा दिया है।

जिस कारण जी.एस.टी. में भी वैट रिफंड की तरह जाली बिलों के आधार पर करोड़ों का घालमेल शुरू हो गया है। निर्यातकों ने भी जाली बिल लेकर सरकार से जी.एस.टी. रिफंड क्लेम करना शुरू कर दिया है।

अगले सप्ताह जिंदल से मिलेंगे रैवेन्यू विभाग के अधिकारी 
यह खेल इस कदर बढ़ चुका है कि यदि सी.बी.आई. जांच हो तो शायद ही कोई अधिकारी इससे बाहर निकल सके। इन सबके दस्तावेज पी.एम.ओ. को भेजे गए हैं। इनके साथ पंजाब केसरी की ओर से उठाए गए जी.एस.टी. बिल घोटाले के सारे मामले से संबंधित दस्तावेजों को भी भेजा गया है। अगले सप्ताह रैवेन्यू विभाग से कुछ अधिकारी लुधियाना में भी प्रधान जिंदल से मिलने आ रहे हैं। जिस तरह पी.एम.ओ. ने हरकत में आते हुए कार्रवाई में तेजी दिखाई है उससे लगता है कि अब सी.बी.आई. जांच होकर ही रहेगी।

अधिकारियों ने डराकर पहले भी रुकवा दी थी जांच 
ध्यान रहे कि कुछ वर्ष पूर्व भी वैट रिफंड घोटाले की सी.बी.आई. जांच होनी थी लेकिन ऊपर तक पहुंच रखने वाले अधिकारियों ने कुछ एसोसिएशनों के प्रधानों को डराकर उनसे अदालत में रिट लगवा दी थी जिसके बाद सी.बी.आई. जांच रुक गई थी। इस बारे में फोपसिया के प्रधान जिंदल कहते है कि उस वक्त अधिकारियों ने कहा था कि यदि जांच शुरू हुई तो इंडस्ट्री को कई साल तक रिफंड नहीं मिलेगा और इंडटस्ट्री कारोबार नहीं कर पाएगी। इसको देखते हुए कुछ लोगों ने रिट लगाई थी लेकिन अधिकारियों ने प्रधानों को अंधेरे में रखा और इंडस्ट्री को बर्बाद कर खुद करोड़ों कमा लिए। अब जांच होना अति जरूरी हो गया है वर्ना पंजाब में कारोबार को ताले लगने से कोई नहीं बचा पाएगा।