62 वर्षीय सतपाल सिंह ने मैराथन में पाया प्रथम स्थान

खबरें अभी तक। जीना जिंदा दिली का नाम है, मुर्दा दिल का खाक जिया करते है। 62 वर्ष की आयु में ऐसी फुरती देखने को बनती है। देश के लिए खेलने की उम्मीद सतपाल सिहं के मन में आज भी बरकरार है, जीना इसी का नाम है। पतले-दुबले सतपाल सिंह जब दौड़ते है तो वे अचानक ही हवा से बाते करने लगते है। जंहा उम्र के पढ़ाव में लोग जीने का हौसला छोड़ देते है उसी उम्र के पढ़ाव में सतपाल सिंह देश के लिए सोना जीत कर लाने की बात करते है।

ऐसे जज्बे का सलाम नही किया जाए तो क्या किया जाए। उनके मुताबिक देश व प्रदेश की सरकारो को बुजुर्गाे के लिए ऐसी प्रतियोगिताओ का आयोजन करवाएं जो उनमें हौंसला बनाए रखे। गांव समैण में चल रही खेल प्रतियोगिता में मुख्य रूप से पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के जाने माने वकील अफताब सिंह खारा ने शिरकत की तथा खारा ने विजेताओं को सम्मानित भी किया।

मैराथन दौड़ गोल्ड मैडलिस्ट 62 वर्र्षीय सतपाल सिंह ने बताया कि बचपन से ही उनका सपना था वे एथलीट बने। अपने उसी सपने को पूरा करने के लिए वो हमेशा प्रयासरत रहे। जिसके तहत उन्हे 2009 में मुंबई में आयोजित मैराथन दौड़ में 42 किलोमीटर दूरी को सतपाल सिंह ने 3 घंटे 24 मिनट में पुरा कर गोल्ड मैडल प्राप्त कर क्षेत्र का नाम रोशन कर खिताब अपने नाम किया।

मैराथन दौड़ में भाग लेने के लिए उन्होंने दिन रात मेहनत की। उन्हाने बताया कि वह जंहा भी जाते है खिताब अपने नाम कर तो लेते है लेकिन इसके बावजूद सरकार की ओर से उन्हे कोई सहायता नही दी जाती है। एक निजि कंपनी उनकी सहयोगी है जो उन्हे सहायता करती है। अगर सरकार सहायता करे तो वह दौड़ प्रतियोगिता में अपने देश के लिए गोल्ड मैडल जीतना चाहते है।

इस दौरान अफताब खारा ने कहा कि कबड्डी गांव का खेल न रहकर विदेशों में भी सर्कल कबड्डी के तौर पर प्रसिद्ध है। उन्होने कहा कि आज सरकार भी खिलाडिय़ों का सम्मान के रूप में नौकरी देने के लिए तैयार है। राष्ट्रीय स्तर पर जो खिलाड़ी जीत कर आता है सरकार उसे नौकरी देने का काम करेगी।

उन्होने कहा कि वो जिन खिलाडिय़ों को उनका हक दिलाने में कामयाब हुए। वह उनके  लिए खुशी की बात है और जिन्हें उनका हक नही मिला है उनका हक दिलाने के  लिए कानूनन लड़ाई लड़ता रहुंगा।

बता दें कि अफताब खारा ने माउंट एवरेस्ट की चोटी को फतेह करने वाले टोहाना के रामलाल शर्मा को हरियाणा पुलिस में सब इस्पेंक्टर व गांव समैण की राष्टी्र्रय स्तर की कबड्डी खिलाड़ी रेणू गिल को सरकार से कानूनन तौर पर कलर्क की नौकरी दिलवाने का काम किया है। अभी भी वे अन्य खिलाडिय़ों को उनका हक दिलाने के लिए कानूनन लड़ाई लड़ रहे है।