बच्च्यिों के दुष्कर्मियों के साथ नेताओं की अजीब सहानुभूति

खबरें अभी तक। मध्य प्रदेश और हरियाणा में 12 साल से कम आयु की बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वाले अपराधियों को फांसी की सजा के प्रावधान को लेकर पंजाब में भी बहस शुरू हो गई है। स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के बयान के बाद सरकार के एक और मंत्री ने इस मामले में अपना रुख स्पष्ट किया है जबकि नेता विपक्ष सुखपाल सिंह खैहरा ने भी इस पर अपनी राय दी है।

दुष्कर्मियों को फांसी अमानवीय : खैहरा
नेता विधानसभा में विपक्ष के नेता सुखपाल सिंह खैहरा ने कहा कि किसी भी अपराध में फांसी की सजा अमानवीय है और बच्चियों के दुष्कर्मियों को भी इस तरह की सजा नहीं मिलनी चाहिए। हालांकि खैहरा ने कहा कि इस तरह का अपराध करने वालों को ऐसी सजा मिलनी चाहिए जो मिसाल पैदा करे। देश के कानून में दुष्कर्मियों को सख्त सजा देने का प्रावधान है और इस कानून के दायरे में रहकर ही दुष्कर्मियों को सजा मिलनी चाहिए।

खैहरा ने कहा कि फांसी की सजा मसले का समाधान नहीं है और देश का मौजूदा कानून भी इस तरह अपराध से निपटने में सक्षम है। खैहरा ने कहा कि पंजाब में महाराजा रणजीत सिंह के 40 साल के राज में किसी को फांसी नहीं दी गई थी क्योंकि ऐसा करना अमानवीय है और सभ्य समाज का हिस्सा होने के नाते मैं भी  फांसी जैसी अमानवीय सजा के पक्ष में नहीं हूं।

मैं अकेला सरकार नहीं हूं : धर्मसोत
जालन्धर में पंजाब के वन मंत्री साधु सिंह धर्मसोत के साथ जब इस बारे बात की गई तो उन्होंने बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वाले अपराधियों को फांसी की सजा के मामले में दो टूक स्टैंड नहीं लिया और कहा कि वह अकेले सरकार नहीं हैं।

मैं इस मामले में सिर्फ इतना ही कह सकता हूं कि बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वालों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए लेकिन जब उनसे पूछा गया कि क्या इस मामले में पड़ोसी राज्य हरियाणा की तरह फांसी की सजा का प्रावधान होना चाहिए तो उन्होंने कहा कि यह तय करना कैबिनेट और सरकार का काम है और वह अकेले इस मामले में कुछ नहीं कर सकते।

जब उनका ध्यान उनके कैबिनेट सहयोगी नवजोत सिंह सिद्धू के बयान की तरफ दिलाया गया तो उन्होंने कहा कि सिद्धू की बात आप सिद्धू से कर सकते हैं। मैं अपनी राय दे सकता हूं और मुझे लगता है कि कानून के दायरे में रहकर बच्चियों के दुष्कर्मियों को सजा मिलनी चाहिए।