पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी की मदद के लिए वीरेंद्र सहवाग ने लगाई गुहार

खबरें अभी तक। टीम इंडिया के पूर्व धाकड़ बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग अपने सेंस ऑफ ह्यूमर के लिए जाने जाते हैं. किसी को जन्मदिन की बधाई देनी हो या फिर अपनी बात लोगों तक पहुंचानी हो, वीरेंद्र सहवाग हमेशा आगे रहते हैं. सोशल मीडिया पर कभी अपने ट्वीट से सभी को गुदगुदाने और कभी सामाजिक सरोकार से जुड़ा ट्वीट कर सभी को भावुक कर देने वाले सहवाग ने फिर से एक बेहद खास ट्वीट किया है. सोशल मीडिया पर अपनी बातों को सभी तक पहुंचाने वाले सहवाग ने इस बार लोगों से एक खिलाड़ी के लिए अपील की है.

सहवाग ने अपने ऑफिशियर टि्वटर हैंडिल से एक खिलाड़ी के लिए आर्थिक मदद की गुहार लगाई है. सहवाग ने ट्वीट करते हुए लिखा है- संजीव कुमार को टोक्यो पैरालंपिक्स के लिए एक अच्छी व्हीलचेयर की जरूरत है. अभी उनके पास 25 किलो की व्हीलचेयर है, जो उनके इस सपने में बाधा बन रही है. अगर हो सके तो आप भी इसमें उनकी मदद करें.

बता दें कि सहवाग ने इस खिलाड़ी से जुड़ा एक पूरा आर्टिकल भी शेयर किया है, जिसमें इस खिलाड़ी के बारे में पूरी जानकारी है. संजीव बैडमिंटन खेलते हैं और इस खेल में लगातार मेडल भी लाते रहे हैं. टॉप 10 पैरा शटलर्स में से उनका रैंक 7 है. यह रैंक बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन द्वारा दिया जाता है. दाएं पैर में पोलियो होने की वजह से संजीव की दुनिया बचपन से ही व्हील चेयर तक सीमित है.

संजीव बैडमिंटन कैसे खेल पाते हैं, इसका अंदाजा सिर्फ देखकर ही लगाया जा सकता है. संजीव की कड़ी मेहनत और लगन ने ही उन्हें उपलब्धियों के शिखर पर पहुंचाया है. संजीव अब तक 18 गोल्ड मेडल, 3 सिल्वर मेडल और 2 कांस्य पदक जीत चुके हैं. ये मेडल उन्होंने अलग-अलग राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जीते हैं. एक साल मेहनत करने के बाद संजीव एशिया कप के फाइनल में पहुंचे थे और बाद में उन्होंने वर्ल्ड पैरालंपिक गेम्स जीता, लेकिन जब भी उन्हें बैडमिंटन खेलना होता है उसके लिए उन्हें फंड एकत्रित करना पड़ता है.

वास्तव में दूसरे खिलाड़ियों से मुकाबला करने के लिए उन्हें व्हीलचेयर खरीदनी पड़ती है. संजीव ने वर्ल्ड पैरालंपिक गेम्स बिना किसी कोचिंग के जीता था. चीन में 2010 में हुए पैरा गेम्स में वह बहुत छोटे मार्जन से पदक जीतने से रह गए, क्योंकि उनकी व्हीलचेयर उपयुक्त नहीं थी. लेकिन जब युगांडा में होने वाली पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप करीब आ गई तो संजीव जानते थे कि वह इस अवसर को किसी भी कीमत पर नहीं गंवा सकते.

उन्होंने युगांडा ट्रिप के लिए अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों से मदद की मांग की और इस तरह वह युगांडा जा पाए. वहां उन्होंने अपनी काबिलियत साबित की. पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाले संजीव पहले खिलाड़ी बने.

अब संजीव का लक्ष्य टोक्यो में जीतना है, लेकिन उनकी व्हीलचेयर उन्हें धोखा दे सकती है. वह कहते हैं, ‘मेरी व्हील चेयर सात साल पुरानी है. मुझे बहुत सावधान रहना होगा. कभी कभी मुझे डर लगता है कि कहीं व्हील चेयर एकमद खराब न हो जाए.’

बता दें कि बैडमिंटन खेलने के लिए एक बढ़िया व्हीलचेयर की जरूरत होती है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संजीव के विपक्षी खिलाड़ी 8 किलोग्राम की व्हील चेयर का प्रयोग करते हैं, जबकि संजीव 24 किलोग्राम की व्हील चेयर का प्रयोग कर रहे हैं.