मंत्रोच्चार के बीच कांची पीठ के शंकराचार्य की ‘महासमाधि’, उमड़े लाखों श्रद्धालु

खबरें अभी तक. कांची कामकोटि पीठ के प्रमुख शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को आज समाधि दी जा रही है. बुधवार को निधन के बाद करीब 1 लाख से अधिक लोग उनके अंतिम दर्शन कर चुके हैं. जयेंद्र सरस्वती की महासमाधि के पहले उनके शरीर पर भभूत का लेप लगाया गया. संतों-महंतों-ऋषियों-आचार्यों ने शंकराचार्य के चरणों में पुष्पांजलि अर्पित की. उनकी आत्मा की शांति के लिए मंत्रोच्चार किए गए.

उनके अंतिम संस्कार में तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित समेत दक्षिण की कई बड़ी हस्तियों ने अंतिम दर्शन किए. शामिल हो रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाएं, हालांकि उनकी ओर से केंद्रीय मंत्री सदानंद गौड़ा शामिल हुए.

 जयेंद्र सरस्वती का देहांत बुधवार सुबह हुआ था, वह 82 वर्ष के थे. जयेंद्र सरस्वती को सांस लेने में आ रही दिक्कत के बाद अस्पताल में भर्ती किया गया था, इलाज के दौरान उनका देहांत हुआ.

 18 जुलाई 1935 को जन्मे जयेंद्र सरस्वती कांची मठ के 69वें शंकराचार्य थे. वे 1954 में शंकराचार्य बने थे. कांची मठ कई स्कूल, आंखों के अस्पताल चलाता है. इस मठ की स्थापना खुद आदि शंकराचार्य ने की थी. जयेंद्र सरस्वती को 22 मार्च, 1954 को सरस्वती स्वामिगल का उत्तराधिकारी घोषित किया गया था.

बुधवार को देशभर में कई बड़ी हस्तियों ने उनके निधन पर दुख व्यक्त किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जयेंद्र सरस्वती के निधन पर दुख व्यक्त किया था. प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर लिखा कि शंकराचार्य हमेशा हमारे दिल में जिंदा रहेंगे. उन्होंने समाज के लिए काफी काम किया है. प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान शंकराचार्य के साथ अपनी पुरानी तस्वीरें भी साझा की थी. प्रधानमंत्री के अलावा राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत कई लोगों ने उनके निधन पर दुख व्यक्त किया.